दिल्ली नगर निगम चुनावों के लिए 1 महीने से भी कम वक्त बचा है. ऐसे में बीजेपी शासित तीनों नगर निगम के कर्मचारियों को जहां बीजेपी मनाने में जुटी हुई है तो वहीं दूसरी तरफ पिछले 10 दिन से तीनों निगम के डोमेस्टिक बिल्डिंग चेकर कर्मचारी स्थायी नियुक्ति की मांग को लेकर निगम मुख्यलय पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. बुधवार को उन्होंने अपनी मांगों को लेकर कपड़े उतारकर प्रदर्शन किया. ये सभी 26 सालों से निगम में कार्यरत हैं और कई सालों से लगातार निगम के अधिकारियों के आश्वासन पर जी रहे हैं.
'कोरोना से गई जान, नहीं मिला मुआवजा'
पूर्वी दिल्ली नगर निगम में कर्यरत डीबीसी कर्मचारी मदन पाल बताते हैं कि कोरोना काल के दौरान जान की परवाह किए बिना मेहनत और लगन से काम किया, लेकिन कर्मचारियों को कोई सुविधा नहीं दी जा रही है. मदन बताते हैं कि 6 महीने पहले पूर्वी दिल्ली नगर निगम में कार्यरत उनके साथी सतीश की कोरोना के कारण जान चली गई, लेकिन अभी तक उनके परिवार को आर्थिक मदद किसी ने नहीं दी जबकि दिल्ली सरकार ने इन कर्मचारियों को फ्रंटलाइन घोषित करते हुए एक करोड़ और निगम ने 10 लाख रुपए मुआवजे का ऐलान किया था .
'कर्मचारियों को नहीं मिल रही कोई सुविधा'
एंटी मलेरिया एकता कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष दयानद ने बताया कि 1996 से अलग-अलग जोन में कर्मचारी डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया हैजा जैसी बीमारियों के प्रकोप के बीच काम करते रहे हैं. पिछले 2 साल से कोरोना का काम कर रहे हैं. इस दौरान कई साथी कर्मचारी जान गंवा बैठे और कई रिटायर हो चुके हैं लेकिन उन्हें सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं दी जा रही है. कोरोना की वजह से जान गंवाने वाले कर्मचारियों के परिवारों को भी सरकार या निगम ने कोई सहायता नहीं दी."
3500 कर्मचारी हैं हड़ताल पर
तीनों निगम में तकरीबन 3500 डोमेस्टिक बिल्डिंग चेकर कर्मचारी कार्यरत हैं. डेंगू मलेरिया के मामले बढ़ने के दौरान इन कर्मचारियों को घर-घर जाकर के डेंगू मलेरिया की रोकथाम के लिए काम करना होता है. इसके बाद बाकी के 3 महीने ये कर्मचारी हाउस टैक्स, कन्वर्जन टैक्स, बिल्डिंग जैसे विभागों में अपनी सेवाएं देते हैं. इन कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें स्थायी किया जाए और इनकी मल्टी टास्क फोर्स पोस्ट सुनिश्चित की जाए.
'शीला दीक्षित सरकार से हो रही मांग'
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल ने इस मामले पर आजतक को बताया कर्मचारियों की मांग लंबे वक्त से है. इनकी मांग जायज है, लेकिन शीला सरकार के समय से ही निगम लगातार मांग करता रहा है कि इनकी पोस्ट दिल्ली सरकार सुनिश्चित करे और उनका बजट सेशन करे लेकिन आज तक किसी सरकार ने इस पर संज्ञान नहीं लिया.