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पत्रकार खुदकुशी केस: एम्स ट्रॉमा सेंटर के सुपरिटेंडेंट को बदलने का आदेश

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में पत्रकार की खुदकुशी में कोई प्रशासनिक गड़बड़ी नहीं मानी है. कमेटी ने यह भी पाया कि कोविड-19 के उपचार के दौरान पालन किए जाने वाले प्रोटोकॉल में भी कोई ढिलाई नहीं बरती गई.

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एम्स की फाइल फोटो
एम्स की फाइल फोटो

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  • कड़ी कार्रवाई की उठी थी मांग
  • आगे और हो सकते हैं बदलाव

पिछले हफ्ते दिल्ली एम्स में एक पत्रकार की खुदकुशी पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने बड़ी कार्रवाई की है. स्वास्थ्य मंत्री ने एम्स ट्रॉमा सेंटर (जेपीएनएटीसी) के मेडिकल सुपरिटेंडेंट को फौरी तौर पर बदले जाने का निर्देश दिया है.

बीते 6 जुलाई को तरुण सिसोदिया नाम के एक पत्रकार ने एम्स की चौथी मंजिल से कूद कर अपनी जान दे दी थी. सिसोदिया कोरोना पॉजिटिव थे और इलाज के लिए वे एम्स में भर्ती थे. मेडिकल सुपरिटेंडेंट के बदलाव के साथ ही स्वास्थ्य मंत्री ने एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने का निर्देश दिया जो एम्स और जेपीएनएटीसी प्रशासन में जरूरी बदलावों पर सुझाव देगी.

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बदलावों के बारे में स्वास्थ्य मंत्री ने रिपोर्ट भी मांगी है. सिफारिशों के साथ कमेटी की रिपोर्ट 27 जुलाई से पहले स्वास्थ्य मंत्री को सौंपी जानी है. इससे पहले पत्रकार तरुण सिसोदिया की आत्महत्या की जांच के लिए 4 सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई थी जिसने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में पत्रकार की खुदकुशी में कोई प्रशासनिक गड़बड़ी नहीं मानी है. कमेटी ने यह भी पाया कि कोविड-19 के उपचार के दौरान पालन किए जाने वाले प्रोटोकॉल में भी कोई ढिलाई नहीं बरती गई.

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पिछले हफ्ते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने पत्रकार तरुण सिसोदिया की मौत पर कहा था कि मेरे पास अपना दुख व्यक्त करने के लिए कोई शब्द नहीं है. ये एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी. उनके पूरे परिवार के प्रति मेरी संवेदना है. इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एम्स निदेशक को तुरंत आधिकारिक जांच करने का आदेश दिया था. इसके साथ ही एक उच्च-स्तरीय कमेटी गठित कर 48 घंटे में रिपोर्ट मांगी गई. इस जांच समिति में चीफ ऑफ न्यूरोसाइंस सेंटर से प्रोफेसर पद्मा, मनोचिकित्सा विभाग के हेड आरके चड्ढा, डिप्टी डायरेक्टर (एडमिन) डॉक्टर पांडा और डॉ यू सिंह शामिल रहे.

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