दिल्ली दंगे से जुड़े एक मामले में गुरुवार को अदालत में नाटकीय तरीके से सुनवाई देखने को मिली. कोर्ट में सुनवाई के दौरान रामायण और महाभारत का जिक्र आया. पुलिस की ओर से जब महाभारत का जिक्र किया गया तो आरोपी ने रामायण का नाम लेकर अपनी दलील रखी.
असल में ‘पिंजरा तोड़’ मुहिम की सदस्य नताशा नरवाल की जमानत याचिका पर बहस के दौरान ये दलीलें दी गईं. नरवाल को कथित रूप से दंगों की पूर्वनियोजित साजिश में हिस्सा लेने के मामले विधि विरुद्ध गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था. उनके वकील ने कहा कि नरवाल के विरुद्ध अभियोजन पक्ष ने एक ‘चक्रव्यूह’ की रचना की है और आरोपी महाभारत के अभिमन्यु की तरह इससे निकलने का प्रयास करेंगी.
बहरहाल, दिल्ली पुलिस ने एक अदालत में गुरुवार को कहा कि जिस प्रकार संस्कृत महाकाव्य 'महाभारत' षड्यंत्र की एक कहानी थी, उसी प्रकार उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे भी कथित षड्यंत्र थे, जिसके ‘धृतराष्ट्र’ की पहचान किया जाना अभी बाकी है. इस पर कोर्ट से जमानत का अनुरोध करने वाली आरोपी के वकील अदिति पुजारी ने कहा कि यह मामला रामायण की तरह भी नहीं हो सकता, जहां हमें आखिरकार बाहर आने के लिए 14 वर्ष इंतजार करना पड़ जाए.
बचाव पक्ष के वकील अदित पुजारी ने ट्रायल कोर्ट को बताया कि यूएपीए चार्जशीट महाभारत के बाद दूसरा सबसे बड़ा दस्तावेज है. महाभारत 22,000 पेज का था और चार्जशीट 17,000 पेजों का है. वहीं पुलिस की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने कहा कि दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप यानी डीपीएसजी नामक व्हाट्सएप ग्रुप संजय के किरदार की तरह है, जो धृतराष्ट्र को हर चीज सुनाता है.
सरकारी वकील अमित प्रसाद ने कहा, "महाभारत एक साजिश की कहानी थी और संयोग से, यह मामला भी एक साजिश का है. महाभारत में, संजय वह शख्स था जो सब कुछ देख सकता था. संजय धृतराष्ट्र को सब कुछ बता रहा था लेकिन अभी धृतराष्ट्र की पहचान बाकी है." अभियोजक की यह भी दलील थी कि इरादा विरोध प्रदर्शन का नहीं था बल्कि चक्का जाम करना था. इसका मतलब ही हिंसा है.
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बचाव पक्ष के वकील अदित पुजारी ने कहा कि यह मामला रामायण की तरह भी नहीं हो सकता, जहां हमें आखिरकार बाहर आने के लिए 14 वर्ष इंतजार करना पड़ जाए. पुजारी ने यह भी कहा कि बचाव पक्ष महाभारत के अभिमन्यु की तरह है, जो अभियोजन पक्ष द्वारा तैयार किए गए 'चक्रव्यूह' को तोड़कर बाहर निकलेगा.