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बदहाल है एशिया की सबसे बड़ी सब्जी मंडी, शिकायतें बेअसर

एशिया की सबसे बड़ी थोक सब्जी मंडी के तौर पर पूरी दुनिया में मशहूर आजादपुर मंडी इन दिनों बदहाली के आंसू बहा रही है. साफ सफाई को लेकर पहले भी सवालों के घेरे में रहने वाली इस मंडी में इन दिनों बारिश के चलते बुरा है. चारों तरफ गंदगी फैली हुई है. जगह जगह कूड़ा सड़कर बजबजाने के लिए छोड़ दिया गया है. सड़क पूरी तरह कीचड़ से भर गई हैं और बदबू की वजह से लोगों का सांस लेना मुहाल हो गया है.

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आजादपुर सब्जी मंडी
आजादपुर सब्जी मंडी

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एशिया की सबसे बड़ी थोक सब्जी मंडी के तौर पर पूरी दुनिया में मशहूर आजादपुर मंडी इन दिनों बदहाली के आंसू बहा रही है. साफ सफाई को लेकर पहले भी सवालों के घेरे में रहने वाली इस मंडी में इन दिनों बारिश के चलते बुरा है. चारों तरफ गंदगी फैली हुई है. जगह जगह कूड़ा सड़कर बजबजाने के लिए छोड़ दिया गया है. सड़क पूरी तरह कीचड़ से भर गई हैं और बदबू की वजह से लोगों का सांस लेना मुहाल हो गया है.

दिल्ली की आजादपुर मंडी को सब्जियों और फलों का थोक बाजार के तौर पर जाना जाता है. यहां आस-पास के राज्यों से सब्जियां और फल पहुंचते हैं और उन्हें आगे छोटी मंडियों में बेचा जाता है. इतने बड़े पैमाने पर सब्जियों और फलों की खरीद फरोख्त कहीं नहीं होती. इसके बावजूद यहां की साफ सफाई भगवान भरोसे है. रही सही कसर बरसात ने पूरी कर दी है. सड़ी हुई सब्जियों की बदबू इस कदर फैली है कि वहां से सब्जी खरीदना तो दूर कुछ देर खड़ा होना भी मुश्किल है.

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दिल्ली के मॉडल टाउन में सब्जी का ठेला लगाने वाले मनोज कहते हैं " घर चलाने की जिम्मेदारी नहीं होती तो वे यहां कभी नही आते. वे हफ्ते में सिर्फ एक दिन यहां सब्जी लेने आते हैं और 5 दिन बीमार रहते हैं. बरसात ने काम को और भी बिगाड़ दिया है. वे कहते हैं कि अब तो बदबू के चलते सांस भी फूलने लगी है पर कोई सुनने वाला नहीं है.

शिकायतों का नहीं कोई असर

दूर दराज से आने वाले सब्जी विक्रेताओं की लाख कोशिशों और शिकायतों के बाद भी हालत नहीं बदले हैं.यह बात समझ से बाहर है कि इतनी मशहूर मंडी की ऐसी हालात क्यों है? साफ सफाई की जिम्मेदारी और जवाबदेही बहस का मुद्दा है पर एक बात तय है कि अगर कोई आम इंसान अगर यहां बिक रही सब्जियो की दुर्दशा देख ले तो सब्जी खाना छोड़ दे. खुली नालियो की बदबू से भी ज्यादा जहरीली बदबू और सड़ी हुई सब्जी के कीचड़ के बीच सब्जियों की ताजगी कहां हवा हो जाती है पता नहीं चलता. जिस गंदगी के बीच यहां सब्जियां लाई और रखी जाती है उससे हाइजीन और न्यूट्रिएंट वैल्यू जैसी बातें बेमानी लगने लगती हैं. इन तमाम परिस्थितियों के बीच ये सवाल अनुत्तरित हैं कि आखिर सालों से बदहाल मंडी के हालात कब बदलेंगे?

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