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कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर का विकल्प हो सकती है DRDO की ये नयी खोज

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने कोरोना के हालातों को देखते हुए SpO2 (Blood Oxygen Saturation) पूरक ऑक्सीजन वितरण प्रणाली तैयार की है.

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ऑक्सीजन सिलेंडर (फाइल फोटो)
ऑक्सीजन सिलेंडर (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • देशभर में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी
  • ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी को पूरा करने के लिए DRDO की नयी खोज

देश भर में जहां एक तरफ कोरोना संक्रमण के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर की किल्लत की खबरे भी चल रही हैं. ऐसे में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने कोरोना के हालातों को देखते हुए SpO2 (Blood Oxygen Saturation) पूरक ऑक्सीजन वितरण प्रणाली तैयार की है. बताया जा रहा है कि इसका उपयोग अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात सैनिकों के लिए किया जा सकता है. वहीं कोरोना मरीजों के लिए भी यह काफी मददगार साबित होगी. 

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रक्षा मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा कि यह स्वचालित प्रणाली, कोरोना के इस मुश्किल दौरा में वरदान साबित हो सकती है.  डीआरडीओ, बेंगलुरु के डिफेंस बायो-इंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रो मेडिकल लेबोरेटरी (DEBEL) द्वारा विकसित, सिस्टम SpO2 एक लेवल सेट करते हुए व्यक्ति को हाइपोक्सिया की स्थिति में जाने से बचाता है, जो ज्यादातर मामलों में घातक है.
 

बता दें कि हाइपोक्सिया एक ऐसी अवस्था है जिसमें टिश्यु तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन की मात्रा शरीर की सभी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है. यह ठीक वैसी स्थिति है जो वायरस के संक्रमण के कारण कोविड रोगी में भी देखने को मिल रही है. जिसके करण वर्तमान में संकट गहराता जा रहा है. 

कोरोना के कारण मौतों में बढ़ोतरी की वजह, ऑक्सीजन सिलेंडर की भारी कमी भी मानी जा रही है. देखा जाता है कि गंभीर मामलों में ऑक्सीजन. रोगियों के काफी जरुरी हो जाती है. ऐसे में किसी भी साधारण व्यक्ति द्वारा इस सिस्टम को इस्तेमाल कर पाने की आसानी, SpO2 की निगरानी के लिए डॉक्टरों और पैरामेडिकल के कार्यभार और जोखिम समय को भी बहुत कम कर देगी. 

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