दिल्ली में तीसरे फेज की मेट्रो लाइनों पर ड्राइवरलेस ट्रेन चलाई जानी है. इनमें मुकंदपुर से शिव विहार वाली पिंक लाइन और जनकपुरी से बोटानिकल गार्डन वाली मेजेंटा लाइन है. ड्राइवरलेस ट्रेन से मतलब कम्यूनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिस्टम से है, जिसमें ट्रैक पर चलने वाली सभी ट्रेनें आपस में और कंट्रोल रूम से डिजिटल रेडियो कम्यूनिकेशन के जरिए एक दूसरे से जुड़ी होती हैं. यह एक एडवांस टेक्नोलाजी है और दुनियाभर में इस्तेमाल की जा रही है, भारत ऐसा सातवां देश होगा, जहां इस ड्राइवरलेस ट्रेन की शुरुआत होगी.
ये हैं दिल्ली में चलने वाली ड्राइवरलैस ट्रेन की खूबियां
- भारत में पिंक लाइन और मेजेंटा लाइन पर चलाने के लिए कुल 81 ट्रेनें तैयार की जा रही हैं.
- यह सभी ट्रेनें 6 कोच वाली होंगी और सीबीटीसी यानी ड्राइवरलेस ऑपरेशन तकनीकी से लैस होंगी.
- 81 में से शुरुआती 20 ट्रेनों को साउथ कोरिया में बनाया गया है और वहीं से पूरी की पूरी ट्रेन ट्रांसपोर्ट करके भारत लाई गई हैं.
- 61 ट्रेनें भारत में ही बनाई जा रही हैं, जो बेंगलुरु में तैयार हो रही हैं. यह मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट का भी हिस्सा हैं.
- 81 में से 52 ट्रेन लाइन नंबर 7 पर और 29 ट्रेन लाइन नंबर 8 पर चलाई जाएंगीं.
- इन ट्रेनों में ड्राइवर केबिन नहीं होगा, इसलिए करीब 40 ज्यादा मुसाफिर सफर कर पाएंगे.
- एलईडी स्क्रीन के जरिए लाइव वीडियो स्ट्रीमिंग की जा सकेगी.
- ट्रेन के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरे की लाइव स्ट्रीमिंग कंट्रोल रूम में होगी. इसी तरह कंट्रोल रूम से भी ट्रेन के भीतर लाइव वीडियो स्ट्रीमिंग के जरिए संपर्क किया जा सकता है.
- ट्रेन का चलना, रुकना, स्पीड पकड़ना, ब्रेक लगाना, दरवाजों का खुलना और बंद होना, साथ ही इमरजेंसी हालात को कंट्रोल करना सब कुछ आटोमैटिक होगा.
- ओडीडी डिवाइस ट्रैक पर लगे होंगे, जो ट्रैक पर आने वाली किसी छोटी रुकावट को हटाकर ट्रेन को पटरी से उतरने यानी डीरेल होने से बचाएगा.
- ट्रेन के फ्रंट में कैमरा होगा, जो ट्रेन के आगे की पूरी तस्वीर लाइव कंट्रोल रूम में दिखाएगा.