दिल्ली विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन प्रोग्राम को लेकर यूजीसी बनाम दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) का विवाद बढ़ता जा रहा है. डीयू के वाइस चांसलर दिनेश सिंह और प्रो वीसी सुधीश पचौरी ने अपने-अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. वीसी ने ग्रेजुएशन कोर्स विवाद में यूजीसी के फरमान के विरोध में इस्तीफा दिया है. दिनेश सिंह 4 साल के ग्रेजुएशन कोर्स पर अड़े थे जबकि यूजीसी तीन साल के कोर्स के लिए डीयू पर दबाव डाल रहा था. सेंट स्टीफंस के छात्र रहे दिनेश सिंह 29 अक्टूर 2010 को यूनिवर्सिटी के वीसी बने थे. वहीं प्रो वीसी सुधीश पचौरी को मानव संसाधन मंत्रालय ने तलब किया था उन्होंने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
इस बीच, डीयू-यूजीसी विवाद कोर्ट भी पहुंच गया है. दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (DUTA) के पूर्व अध्यक्ष आदित्य नारायण मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट से दखल की मांग की. लेकिन शीर्ष कोर्ट ने दखल से इनकार करते हुए हाई कोर्ट में अपील करने को कहा है. अब भूख हड़ताल पर बैठे मिश्रा बुधवार को हाई कोर्ट में अपील करेंगे.
नहीं जारी हुई कट ऑफ लिस्ट
चार साल के पाठ्यक्रम पर जारी गतिरोध का असर दाखिले पर पड़ा है और मंगलवार को पहली कट ऑफ लिस्ट भी जारी नहीं हुई. चार साल के ग्रेजुएशन कोर्स के विरोध के बावजूद डीयू इस पर अड़ा हुआ है.
चार साल का पाठ्यक्रम वापस लेने के यूजीसी के निर्देश के खिलाफ डीयू एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य आदित्य नारायण मिश्रा भूख हड़ताल पर चले गए हैं. उन्होंने यूजीसी पर यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता पर हमले का आरोप लगाया है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के सामने आज भी प्रदर्शन जारी है. बताया जा रहा है कि बीटेक कोर्स को चार साल का बनाए रखने और बीए और बीकॉम को तीन साल का करने के फॉर्मूले पर सलाह-मशविरा किया जा रहा है. इंजीनियरिंग कोर्स अनिवार्य रूप से चार साल का होता है.
वहीं एचआरडी मिनिस्ट्री के सूत्रों की मानें तो दिल्ली यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार भी यूजीसी के साथ हो गए हैं. उन्होंने सोमवार शाम यूजीसी को फैक्स भेजकर कहा है कि यूजीसी के दिशानिर्देश स्पष्ट है.
कॉलेज प्रिंसिपल्स ने लिया एडमिशन न लेने का फैसला!
बताया जा रहा है कि चार साल के कोर्स पर विवाद के चलते डीयू के सभी कॉलेजों के प्रिंसिपल ने बैठक कर फैसला लिया है कि विवाद सुलझने तक दाखिला नहीं होगा. दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष नंदिता नारायण ने भी कहा, 'मौजूदा हालात में दाखिला नहीं होना चाहिए.'
आपको बता दें कि ग्रेजुएशन कोर्स पर जारी तनातनी के बीच यूजीसी की बैठक भी हुई, लेकिन इसमें दिल्ली यूनिवर्सिटी का कोई नुमाइंदा नहीं पहुंचा. इस बैठक के बाद यूजीसी अपने फैसले पर कायम रहा और कहा, 'डीयू में 3 साल का कोर्स हो, 4 साल का प्रोग्राम खत्म हो.'
UGC को मिला केंद्र का समर्थन
इस विवाद में यूजीसी को केंद्र सरकार का समर्थन मिला है. मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि डीयू यूजीसी की गाइडलाइन माने. यूजीसी के इस फैसले पर छात्रों ने भी खुशी जताई है, लेकिन विवाद की वजह से उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है.
गौरतलब है कि पिछले सत्र से शुरू हुए चार साल का ग्रेजुएशन प्रोग्राम को खत्म करने को लेकर यूजीसी ने डीयू को सख्त निर्देश जारी किया है. डीयू की स्वायत्तता को दरकिनार करते हुए यूजीसी ने डीयू व उससे संबद्ध 64 कॉलेजों को आदेश दिया है कि वे नए सत्र में तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के तहत छात्रों को दाखिला दें. यही नहीं, कड़े शब्दों में यह चेतावनी भी दी थी कि यदि कोई कॉलेज इस आदेश की अवहेलना करता है तो उसे दिया जाने वाला अनुदान रोका जा सकता है.