'आज तक' की टीम ने पुरानी दिल्ली में चांदनी चौक के साईकिल बाजार का रिएलिटी चेक किया, जहां अब तक कैश ही भुगतान का एकमात्र जरिया था. नोटबंदी के बाद ट्रेडर्स को कैशलेस होने की जरूरत पड़ी, जिसके लिए बाकायदा व्यापारियों ने बैंक में स्वाइप मशीन के लिए अर्जी भी डाली, लेकिन दिक्कत ये है कि कई हफ्ते गुजर जाने के बाद भी बैंक से अब तक स्वाइप मशीन नहीं मिल पाई है.
स्वाइप मशीन का है इंतजार
पुरानी दिल्ली में पिछले 35 साल से साईकिल का व्यापार कर रहे मनीष बताते हैं कि नोटबंदी से उन्हें बहुत नुकसान हो रहा है. एटीएम और बैंक से कैश नहीं मिलने की वजह से ग्राहक कार्ड लेकर आता है, लेकिन बैंक ने ऑर्डर देने के बावजूद अभी तक स्वाइप मशीन नहीं दी है. जब देखा कि बहुत नुकसान हो रहा है, तो स्वाइप मशीन ऑर्डर किया लेकिन बैंक वाले कह रहे हैं कि अभी 15 दिन लगेंगे.
पेमेंट के लिए मशीन ही नहीं
मनीष के मुताबिक 70 से 80 फीसदी बिक्री खत्म हो चुकी है और दिन भर दुकान में खाली बैठे रहना पड़ता है. रिटेल और थोक दोनों के खरीददार आते हैं, लेकिन कार्ड से पेमेंट के लिए मशीन ही नहीं है. सवाल पूछने पर मनीष बताते हैं कि नोटबंदी का फैसला अच्छा है, लेकिन सरकार को अब मिडिल क्लास को हो रही परेशानियों के बारे में सोचना चाहिए.
ट्रेडर्स को हो रहा नुकसान
जाहिर है कई व्यापारी कैशलेस होना चाहते हैं, लेकिन बैंक प्रशासन के ढीले रवैये की वजह से ट्रेडर्स को नुकसान झेलना पड़ता है. ऐसे में कैशलेस को बढ़ावा देने वाली सरकार को भी इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है.