राजधानी दिल्ली में रामलीलाओं के करीब सवा दो सौ साल के इतिहास में पहली बार वर्चुअल दशहरा मनाया जाएगा. कहीं विशाल स्क्रीन पर ही रावण के पुतलों का दहन किया जाएगा तो कहीं पुतले तो एक्चुअली जलेंगे, लेकिन आतिशबाजी की चकाचौंध और पटाखों के धमाके वर्चुअली होंगे. यानी कुल मिलाकर मामला हाइब्रिड होगा.
दिल्ली में डीडीएमए की हरी झंडी मिलने पर सरकार ने शर्तों और प्रोटोकॉल के साथ रामलीला और दुर्गापूजा की इजाजत तो दे दी. लेकिन दशहरा और रावण दहन को लेकर कोई स्पष्ट निर्देशिका न आने से कंफ्यूजन है. कई रामलीला कमेटियां कंफ्यूजन में हैं कि दशहरा को रामलीला का ही हिस्सा मानते हुए वही प्रोटोकॉल और शर्तें रहेंगी या आतिशबाजी और पटाखों की वजह से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी कोई विशेष निर्देशिका लाएगा.
देश की आजादी के समय से ही दिल्ली छावनी में हो रही रामलीला की मौजूदा आयोजक श्री रघुनंदन लीला समिति भी ऊहापोह में है. दशहरे की तैयारियां तो हैं लेकिन दिल में धुकधुक भी कि छावनी के इलाके में सरकार और सेना कोई नया बखेड़ा न खड़ा कर दें. रामलीला समिति के प्रधान दीपक सिंघल के मुताबिक अब तक सरकार ने स्पष्ट तौर पर दशहरे को लेकर कोई गाइड लाइन जारी नहीं की है. इसमें कोई शक नहीं कि दशहरा रामलीला का ही समापन से पहले का अहम हिस्सा है. लेकिन ये बाकी रामलीला से अलग इसलिए है क्योंकि इसमें आतिशबाजी, पटाखे और आग का खेल होता है. सीधे सीधे पर्यावरण से जुड़ा मामला है. लिहाज़ा सरकार को आर या पार हां या ना बताना चाहिए था. हम पारंपरिक तौर पर मना लें और कल को यही सरकार और प्रशासन आपत्ति जताने लगे तो? हम तो कानून और नियम पर चलने वाले हैं.
ऐसी होगी लालकिले की रामलीला
लालकिले के मैदान में होने वाली तीन रामलीलाओं में इस बार सिर्फ एक लवकुश राम लीला ही हो रही है. इस समिति के प्रधान अशोक अग्रवाल का तो साफ साफ कहना है कि दो साल पहले हमने 110 से 100 फुट कद के रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए थे. लेकिन इस बार कोरोना का कद बढ़ा तो हमने रावण का कद घटा दिया. अब यहां 30 फुट ऊंचा रावण और उससे कुछ छोटे कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले फूंके जाएंगे.
पूर्वी दिल्ली से पश्चिमी दिल्ली तक दिखेगा ऐसा नजारा
पूर्वी दिल्ली की इंद्रप्रस्थ आईपी एकस्टेंशन रामलीला तो इस बार मैदान की बजाय धर्मशाला में लीला कर रही है. यहां स्क्रीन पर ही दशहरा मनाया जाएगा यानी रावण दहन बड़े एलईडी स्क्रीन पर ही होगा. अन्य राम लीलाओं में भी उपाय तो ऐसे ही हैं. यानी कहीं कद छोटा तो कहीं आतिशबाजी का टोटा. रावण तो जलेगा लेकिन सबको छका कर.
पश्चिमी दिल्ली के रावण बाजार यानी ततारपुर में ये पुतले बनाने वाले शोरगर शंकर का भी यही कहना है कि इस बार तो रावण का बाजार ठंडा है. अव्वल तो रामलीला समितियों के पुतलों के ऑर्डर आए नहीं. आए भी तो कद इतना छोटा. कइयों ने तो सिर्फ पुआल और पराली से ही पुतले बनवाए हैं. ताकि रावण भी जल जाए और आंच भी ना आए! रामलीला के रावण के साथ ही प्रदूषण के रावण का भी अंत हो.