डूसू चुनाव में प्रचार के लिए पोस्टर लगाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली हाइकोर्ट ने रॉकी तुर्शीद, अंकिव बसोया समेत करीब एक दर्जन डूसू चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. नोटिस में पूछा गया है कि क्यों न आपके ख़िलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए.
दिल्ली हाइकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को पोस्टर लगाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके कड़ी कार्रवाई करने के आदेश भी दिए हैं. हाइकोर्ट ने इस मामले से जुड़े सभी पक्षों इलेक्शन कमिशन, दिल्ली पुलिस, डीयू से स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है.
याचिकाकर्तां ने कोर्ट को बताया कि अब तक न तो पोस्टर्स को हटाने का काम किया गया है और न ही पोस्टर लगाने वालों पर कोई कार्रवाई की गई है. सिविक एजेंसियों को पोस्टर हटाने में जो खर्च करना पड़ता है, वो आम लोगों का टैक्स का पैसा होता है. पिछले साल की ही तरह डूसू चुनाव में प्रत्याशी बड़ी मात्रा में अपने नाम व बैलेट नंबर लिखे पर्चे बांट रहे हैं और पब्लिक वॉल पर चिपका रहे हैं. लाखों का खर्च एक उम्मीदवार कर रहा है. जबकि किसी भी उम्मीदवार को 5 हजार से ऊपर पैसें को खर्च करने की इजाजत नहीं है.
इससे पहले 6 सितंबर को दिल्ली यूनिवर्सिटी में पेपरलेस डूसू चुनाव कराने को लेकर एनजीटी भी आदेश दे चुकी है. एनजीटी तो यहां तक कह चुकी है कि जो हमारे आदेशों का पालन न करे उस पर 5 हज़ार का जुर्माना लगाया जाए. फिर भी उम्मीदवार अगर एनजीटी के आदेश का पालन न करें तो उन्हें यूनिवर्सिटी रेस्टीकेट करे और उसके नॉमिनेशन को रद्द किया जाए. गौरतलब है कि डूसू के चुनाव 12 सितंबर को होने हैं.