दिल्ली में विवादित शराब नीति पर घिरे उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. गृह मंत्रालय ने सीबीआई को फीडबैक यूनिट के जरिए जासूसी कराने के आरोपों पर मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज करने और जांच करने के आदेश दे दिए हैं. सीबीआई ने पिछले दिनों दिल्ली सरकार की 'फीडबैक यूनिट' पर जासूसी का आरोप लगाते हुए डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और अन्य अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति मांगी थी.
क्या है मामला?
दरअसल, दिल्ली सरकार ने 2015 में फीड बैक यूनिट (FBU) का गठन किया था. तब इसमें 20 अधिकारियों के साथ काम करना शुरू किया था. आरोप है कि FBU ने फरवरी 2016 से सितंबर 2016 तक राजनीतिक विरोधियों की जासूसी की. यूनिट ने न सिर्फ बीजेपी के बल्कि AAP से जुड़े नेताओं पर भी नजर रखी. इतना ही नहीं यूनिट के लिए LG से भी कोई अनुमति नहीं ली गई. आरोप है कि यूनिट ने तय कामों अलावा राजनीतिक खुफिया जानकारी भी इकट्ठा की.
एलजी से मिल चुकी मंजूरी
सीबीआई को शुरुआती जांच में सबूत मिले हैं कि FBU ने राजनीतिक खुफिया जानकारी इकट्ठा की. विजिलेंस विभाग सिसोदिया के पास है. ऐसे में सीबीआई ने 12 जनवरी 2023 को इस मामले में खुफिया विभाग को एक रिपोर्ट पेश की और एलजी से भ्रष्टाचार के मामले में मनीष सिसोदिया और अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की थी. उप राज्यपाल विनय सक्सेना ने इसकी मंजूरी दे दी थी. अब इस मामले में गृह मंत्रालय से सीबीआई को केस दर्ज करने और जांच करने की अनुमति मिल गई है.
शराब नीति पर भी घिरे हैं सिसोदिया
गृह मंत्रालय ने जासूसी के मामले में ऐसे वक्त पर सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं, जब दिल्ली में बुधवार को मेयर चुनाव होना है. ऐसे में हंगामे के पूरे आसार हैं. हालांकि, इससे पहले शराब नीति के मामले में भी सीबीआई उनके खिलाफ जांच कर रही है. इस मामले में सिसोदिया के यहां छापे भी पड़ चुके हैं.
हाल ही में मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने इस मामले में समन भी भेजा है. शराब नीति वाले मामले में 26 फरवरी को जांच एजेंसी सिसोदिया से सवाल जवाब करने जा रही है. इससे पहले भी मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने समन भेजा था, लेकिन तब डिप्टी सीएम ने अपील की थी कि उन्हें फरवरी के अंत में बुलाया जाए क्योंकि वे दिल्ली का बजट बनाने में व्यस्त चल रहे हैं. उसी वजह से अब सीबीआई ने उन्हें 26 फरवरी को बुलाया है.