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ED ने दिल्ली जल बोर्ड मामले में दायर की 8 हजार पेजों की चार्जशीट, केजरीवाल को मिल चुका है समन 

दिल्ली जल बोर्ड टेंडर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. ईडी ने शनिवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. ईडी ने जगदीश अरोड़ा, अनिल अग्रवाल के सीए तजेंद्र सिंह सहित एनबीसीसी के पूर्व अधिकारी दिनेश मित्तल और एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर को आरोपी बनाया है.

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दिल्ली जल बोर्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने दाखिल की चार्जशीट.(फाइल फोटो)
दिल्ली जल बोर्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने दाखिल की चार्जशीट.(फाइल फोटो)

प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली जल बोर्ड टेंडर से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. ईडी ने इस मामले में 140 पन्नों के ऑपरेटिव पार्ट के साथ आठ हजार पेन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया है.

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इन्हें बनाया आरोपी

जांच एजेंसी ने इस चार्जशीट को विशेष सीबीआई न्यायाधीश भूपिंदर सिंह की अदालत में दायर किया है. ईडी ने अपनी पूर्व मुख्य अभियंता चार्जशीट में जगदीश अरोड़ा, अनिल अग्रवाल के सीए तजेंद्र सिंह सहित एनबीसीसी के पूर्व अधिकारी दिनेश मित्तल और एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर को आरोपी बनाया है. ईडी द्वारा दिल्ली जल बोर्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोप पत्र के संज्ञान पर जांच एजेंसी की दलीलों को भी सुना है. अब इस मामले में 1 अप्रैल, 2024 को जारी बहस होगी.

ईडी ने कोर्ट को बताया कि एनकेजी कंपनी को आरोपी बनाया गया है, उसके निदेशक की मौत हो गई है. इसलिए उसे आरोपी नहीं बनाया गया है. अभी मामले में आगे जांच की जा रही है.

ईडी ने ये भी बताया कि एनकेजी कंपनी को एनबीसीसी अधिकारी दिनेश मित्तल द्वारा जारी सर्टिफिकेट के आधार पर टेंडर मिला था, एनकेजी ने मित्तल की यात्रा के लिए हवाई जहाज के टिकट बुक भी की थीं. बिना साइन की हुए एक नोटशीट तैयार की थी जो डीजीपी और अन्य लोगों पास भी थी.

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ईडी ने कहा कि एनकेजी ने कोई काम नहीं किया था, उसे टेंडर मिला था. एनबीसीसी के रिकॉर्ड में एनकेजी के बारे में कुछ भी मिला है.

टेंडर के बदले ली घुस

ईडी ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड ने एनकेजी को 38 करोड़ रुपये का टेंडर दिया, जिसमें से 24 करोड़ रुपये जारी किए गए. 38 करोड़ में से 24 करोड़ जारी करने के बाद जारी 6 करोड़ 38 लाख बचा लिए ये प्रोसीड ऑफ क्राइम है. जिसमें से 56 लाख रुपये ताजेंद्र सिंह के जरिए जगदीश अरोड़ा को मिले. 36 करोड़ रुपयों में से केवल 14 करोड़ रुपयों का इस्तेमाल किया गया है.

ईडी ने अदालत से कहा कि एनकेजी और इंटीग्रल ग्रुप का पैसा जगदीश अरोड़ा के पास गया था, क्योंकि उन्होंने टेंडर जारी किया था. उन्होंने कंपनियों से टेंडर के बदले पैसे लिए थे. जगदीश को 3.19 करोड़ रुपये मिले थे, जिसमें से 56 लाख रुपये एनकेजी से बाकी बचे हुए रुपये इंटीग्रल ग्रुप के थे.

38 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम का है मामला

दिल्ली जल बोर्ड से संबंधित केस की ईडी जांच सीबीआई की एक एफआईआर पर आधारित है, जिसमें दावा किया गया था कि जगदीश अरोड़ा ने किसी एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को 38 करोड़ रुपये से ज्यादा का कॉन्ट्रेक्ट दिया था, जो टेक्निकिल रूप से उसके पात्र नहीं थे. ईडी का दावा है कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड फर्जी दस्तावेज सबमिट करके कॉन्ट्रेक्ट हासिल किया था.

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आरोप यह भी है कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर ने अनिल कुमार अग्रवाल की स्वामित्व वाली कंपनी इंटीग्रल स्क्रूज को काम का सब-कॉन्ट्रैक्ट दिया था. सके बदले अरोड़ा को तीन करोड़ रुपये मिले थे, जिसमें कुछ कैश और कुछ बैंक ट्रांसफर किया गया था. एजेंसी का दावा है कि अरोड़ा के करीबी लोगों को भी कैश भेजे गए थे.

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