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त्रिलोकपुरी: मजहबी फसाद में फरिश्ते बनकर आए 15 किन्नर

त्रिलोकपुरी के ब्लॉक-35 में शुक्रवार को हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान 15 किन्‍नर स्थानीय लोगों के लिए फरिश्‍ते साबित हुए. किन्‍नरों के इस समूह ने तलवार और पत्‍थर लेकर आई आगबबूला भीड़ को रोक लिया और उन्‍हें वापस लौटने पर मजबूर कर दिया.

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त्रिलोकपुरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा
त्रिलोकपुरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा

त्रिलोकपुरी के ब्लॉक-35 में शुक्रवार को हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान 15 किन्‍नर स्थानीय लोगों के लिए फरिश्‍ते साबित हुए. किन्‍नरों के इस समूह ने तलवार और पत्‍थर लेकर आई आगबबूला भीड़ को रोक लिया और उन्‍हें वापस लौटने पर मजबूर कर दिया.

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तस्‍वीरें: त्रिलोकपुरी में सांप्रदायिक हिंसा

दरअसल, त्रिलोकपुरी में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने के बाद एक गुट हाथों में तलवारे और ईंट-पत्थर लेकर ब्‍लॉक-35 की ओर बढ़ा. लेकिन 15 किन्‍नरों का एक समूह इनके आगे खड़ा हो गया और उन्‍हें वापस लौटने को कहा. किन्‍नरों ने अपने अंदाज में इन गुंडों को धमकाया कि अगर वे नहीं लौटे तो सभी किन्‍नर कपड़े उतारने शुरू कर देंगे. किन्‍नरों की ये धमकी काम आई और भीड़ को मजबूर होकर लौटना पड़ा.

यही नहीं, जब त्रिलोकपुरी के हर ब्‍लॉक में तनाव था, तब इन किन्‍नरों में ब्‍लॉक-35 में शांति बनाए रखने की पूरी कोशिश की. उन्‍होंने हिंदूओं और मुसलमानों के हाथों में झाड़ू थमा दी और लोगों को सड़कें साफ करने के लिए भी कहा. टाइम्‍स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, किन्‍नरों की मुख‍िया लैला सा ने कहा, 'पूरे इलाके की हालत बहुत खराब थी, सड़कों पर चलना मुश्किल था. सफाई कर्मचारी भी दंगों के डर से बाहर नहीं निकल रहे थे तो किसी को तो सड़क साफ करनी ही पड़ती. इसलिए लोगों को साथ लेकर हम लोगों ने सड़क की सफाई की.' लैला साल 1976 से यहां रह रही हैं.

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त्रिलोकपुरी में हिंसा के पीछे थे 5 शराबी

लैला ने बताया कि पुलिस बैरीकेड के सामने वे पूरे समय बैठे रहे. उन्होंने कहा, 'हम लोगों के आश्‍वासन के बाद भी उस ब्‍लॉक में रहने वाले दो मुलमान परिवार वहां से चले गए. उन लोगों के जाने का हमें बहुत दुख हुआ. वहां रह रहे हिंदुओं ने भी उन्‍हें आश्‍वासन दिया, लेकिन ऐसे हालात में कोई आश्‍वासन काम नहीं करता है. जब वो रिक्‍शा ले रहे थे तब भी हमने उन्‍हें रुकने के लिए, लेकिन वह नहीं रुके.'

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