देश की राजधानी में मैनुअल स्कैवेंजिंग के दौरान मौत के कई मामले सामने आने के बावजूद एजेंसियां लापरवाही बरत रही हैं. आईटीओ के नजदीक पासपोर्ट दफ्तर के सामने सफाई कर्मचारी के सीवर में उतरकर सफाई करने का मामला सामने आया है. हैरानी की बात ये रही कि दिल्ली सचिवालय, दिल्ली पुलिस और PWD दफ्तर से चंद किलोमीटर की दूरी पर बिना सुरक्षा किट पहने लंबे समय तक कर्मचारी सफाई करते नजर आएं, लेकिन न किसी ने उन्हें टोका, न रोका.
'आजतक' की टीम ने बिना सुरक्षा किट के सीवर की सफाई कर रहे कर्मचारियों से बातचीत की और जाना कि उन्हें यहां सफाई के लिए किसने भेजा है. सफाई कर्मचारियों से जब हमने पूछा कि क्या आपने ठेकेदार से सुरक्षा किट मांगी है? क्या आपको जानकारी है कि किट के बिना सफाई करने से कई हादसे हो चुके हैं?
मौके पर मौजूद 2 सफाई कर्मचारियों में से एक ने कहा, 'PWD से काम हो रहा है. बारिश के बाद सीवर जाम हो जाता है तो साफ करने के लिए बोला गया.' आगे पूछने पर कि क्या किट के बारे में आपको जानकारी दी गई? सफाई कर्मचारी ने कहा, 'हमें बोला कि किट लेकर आ रहे हैं लेकिन 11 बजे के बाद कोई नहीं आया फिर हम अपने काम पर लग गए.' फिर पूछने पर कि किट न पहनने से हादसा हो जाता है इसकी जानकारी है? सफाई कर्मचारी ने बचाव करते हुए कहा कि 'पढ़े-लिखे हैं, जानते हैं, आज पहली बार आए हैं."
'आजतक' द्वारा खबर को प्रमुखता के उठाए जाने के बाद मामले में राजनीति भी शुरू हो गई. दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी ट्वीट कर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है. तिवारी ने ट्वीट कर लिखा "दिल्ली के CM पर इन मामलों में धारा 302 और धारा 307 के तहत कार्रवाई हो."
दिल्ली के CM पर इन मामलों में धारा 302 और धारा 307 के तहत कार्रवाई हो https://t.co/cS8CEseCdp
— Manoj Tiwari (@ManojTiwariMP) October 2, 2018
आपको बता दें कि हाल ही में देश की राजधानी में सीवर की सफाई करने वाले कर्मचारियों की मौत रोकने के लिए आम आदमी पार्टी सरकार ने तमाम एजेंसियों के साथ दिल्ली स्टेट लेवल मॉनिटरिंग कमिटी की पहली बैठक की थी. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में जिले के सभी डीएम को सर्वे कर, सीवर की सफाई का काम करने वाले कर्मचारियों की लिस्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया था. ताकि उन्हें ट्रेनिंग देकर सिविल डिफेंस में नौकरी दी जा सके.
इस बैठक में दिल्ली सरकार ने एडीएम को पिछले 5 साल पुराने मामलों में जांच शुरू कर मैनुअल स्कैवेंजिंग की घटनाओं में आरोपियों के खिलाफ ट्रायल शुरू करने का निर्देश दिया था. इसके अलावा बैठक में यह सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे कि सीवेज में उतर कर अब किसी की मौत ना हो.
यदि इस तरह की कोई घटना होती है तो सफाई कराने वाला इंचार्ज और संगठन जिम्मेदार होगा. मुख्यमंत्री ने ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा 304-A की जगह 304 का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था.
दिल्ली सरकार में SC/ST मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने 'आजतक' से खास बातचीत के दौरान दावा किया है कि दिल्ली सरकार मैनुअल स्कैवेंजिंग को रोकने के लिए नई तकनीक की 200 मशीन लेकर आ रही है. भविष्य में सीवर की सफाई का काम मशीन से कराया जाएगा. यह मशीनें नवंबर में आ जाएंगी. उन्होंने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड ने इन मशीनों के लिए टेंडर भी दे दिया है. इस स्कीम के लिए हैदराबाद और पुणे जाकर मशीनों में बदलाव भी कराए गए थे. इन मशीनों में किसी कर्मचारी को सीवर में नहीं जाना होगा और इनका इस्तेमाल पतली गलियों में भी किया जा सकेगा.