अधिकरण के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने हालांकि साफ किया कि इस संबंध में मुआवजे की राशि संपत्ति कर या पानी के बिल में, जो भी ज्यादा हो, उसके अनुपात में होगी और जो अनधिकृत कालोनी में रहते हैं अथवा पानी का बिल नहीं दे रहे हैं वहां राशि 100 रूपये से 500 रूपये के बीच होगी.
पीठ ने कहा , ‘हम निर्देश देते हैं कि दिल्ली सरकार, दिल्ली जल बोर्ड, सभी नगर निगमों, छावनी बोर्ड, बीएसईएस जैसी बिजली आपूर्ति कंपनियों और सभी निकाय प्राधिकारों को दिल्ली के समूचे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सीवेज पैदा करने वाले प्रत्येक परिवार से पर्यावरण क्षतिपूर्ति का भुगतान लेना होगा.’ पीठ ने कहा कि भूखंडों पर हुए निर्माण के संदर्भ में इस क्षतिपूर्ति की राशि संबंधित अधिकारी तय करेंगे और वह दिल्ली सरकार के पास जमा होगी.
अधिकरण ने साथ ही दिल्ली जल बोर्ड को ‘मैली से निर्मल यमुना’ रिवेटेलाइजेशन प्लान , 2017 परियोजना के पहले चरण को पूरा करने के लिये पूर्ण कार्ययोजना एवं समय सीमा आज से एक हफ्ते के भीतर सौंपेने का निर्देश दिया.
(इनपुट: भाषा)