scorecardresearch
 

महानगरों में पूर्वोत्तर की महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं आम बात: सर्वेक्षण

महिलाओं के हक और सम्‍मान के लिए भले ही देश की सड़कों पर मोमबत्ती लेकर हुजूम निकले या फिर रायसीना हिल आम जन की भीड़ से पट जाए. लेकिन देश के पूर्वोत्तर राज्‍यों की महिलाओं के प्रति महानगरों की सड़के कितनी सभ्‍य हैं यह महिला आयोग द्वारा प्रायोजित एक रिपोर्ट से ही जान लीजिए.

Advertisement
X
Symbolic Image
Symbolic Image

महिलाओं के हक और सम्‍मान के लिए भले ही देश की सड़कों पर मोमबत्ती लेकर हुजूम निकले या फिर रायसीना हिल आम जन की भीड़ से पट जाए. लेकिन देश के पूर्वोत्तर राज्‍यों की महिलाओं के प्रति महानगरों की सड़के कितनी सभ्‍य हैं यह महिला आयोग द्वारा प्रायोजित एक रिपोर्ट से ही जान लीजिए.

Advertisement

सेंटर फॉर नॉर्थ ईस्ट स्टडीज एंड पॉलिसी रिसर्च द्वारा दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलूर में नॉर्थ ईस्‍ट की महिलाओं से छेड़छाड़ और उत्पीड़न पर जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार 26 फीसदी महिलाओं ने राह चलते छेड़छाड़ जैसी घटनाओं की शिकायत की है. इस रिपोर्ट में ऑटो या टैक्‍सी चालकों द्वारा अधिक किराया वसूलने की शिकायत को भी शामिल किया गया है. इसके तहत 27 फीसदी महिलाओं ने अधिक किराया वसूले जाने की बात की है.

लोग विदेशी समझ करते हैं अपशब्‍दों का प्रयोग
राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा प्रायोजित सर्वेक्षण में शामिल महिलाओं में से 27 फीसदी ने बताया कि कई बार उनकी पहचान विदेशी के तौर पर कर लोग अपशब्‍द का प्रयोग भी करते हैं. वहीं 14 फीसीदी ने कहा कि दुकानदार अकसर उनसे अधिक पैसे वसूलते हैं.

किराये पर घर नहीं देना चाहते हैं लोग
सर्वेक्षण में शामिल 16 फीसदी महिलाओं ने बताया कि उनके मकान मालिक उनकी जीवनशैली, कामकाज, खानपान और पैतृक स्थल के बारे में असहज करने वाले सवाल पूछते हैं. वहीं, चार फीसदी ने कहा कि पूर्वोत्तर से ताल्लुक रखने के कारण लोग उन्‍हें किराए पर घर भी नहीं देना चाहते. तीन फीसद के मुताबिक उन्‍हें सड़कों पर लड़कों के उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा.

Advertisement

इस सर्वेक्षण में 300 से अधिक महिलाओं से बात की गई. इनमें मकान मालिक, शिक्षक, वकील, पुलिस और समाजसेवी शामिल हैं. हालांकि अध्ययन के परिणाम यह भी बताते हैं कि भेदभाव के बावजूद 44 फीसदी प्रतिभागी अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को इन महानगरों में आने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, क्योंकि यहां उनकी शिक्षा और कामकाज के लिहाज से बेहतर अवसर हैं.

...तो लौट जाएंगे घर
सर्वेक्षण में शामिल 41 फीसदी महिलाओं का कहना है कि वे इन परेशानियों के बावजूद अपने गृह राज्यों में वापस जाने के बारे में नहीं सोचती हैं. जबकि 33 फीसदी ने कहा कि अगर उन्हें अपने पैतृक राज्य में अच्छे अवसर मिले तो वे वापस लौट जाएंगी. वहीं, केवल 17 फीसदी ने कहा कि वे अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को महानगर नहीं आने के लिए आगाह करेंगी.

बेंगलूर में घर को लेकर है सबसे ज्‍यादा परेशानी
बेंगलूर में किराये पर घर आसानी से नहीं मिलना एक बड़ी दिक्कत बनकर उभरी है. सर्वेक्षण में 38 फासदी महिलाओं ने इस तरह की कठिनाई का सामना किया है. हालांकि दिल्ली में सिर्फ 19 फीसदी ने इस तरह की दिक्कत को झेला है. कोलकाता में पूर्वोत्तर की महिलाओं से मकान मालिक द्वारा अधिक किराया वसूला जाना आम बात है.

Advertisement

सर्वेक्षण के परिणामों को पिछले हफ्ते सेंटर फॉर नॉर्थ ईस्ट स्टडीज एंड पॉलिसी रिसर्च में एक कार्यशाला के दौरान प्रस्तुत किया गया. कार्यशाला में दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया के 40 से अधिक युवा प्रतिनिधि, राष्ट्रीय महिला आयोग के प्रतिनिधियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शिरकत की.

Advertisement
Advertisement