पूर्व बीजेपी विधायक सुनील वैद्य दिल्ली के त्रिलोकपुरी में शुक्रवार को हुई सांप्रदायिक हिंसा की जांच की जद में आ गए हैं. सुनील वैद्य से दंगों के पीछे उनकी भूमिका के बारे में पूछा गया है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जांच में सामने आया है कि दंगों से ठीक पहले वैद्य ने अपने समर्थकों के साथ एक गुप्त बैठक की थी.
इसी बैठक के बाद शुक्रवार शाम को दंगे हुए. पुलिस ने उनसे जवाब मांगा है कि उन्होंने यह बैठक क्यों की थी और इसका क्या मकसद था. पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्हें बाद में पूछताछ के लिए बुलाया भी जा सकता है.
तस्वीरें: त्रिलोकपुरी में सांप्रदायिक हिंसा
आपको बता दें कि सुनील वैद्य त्रिलोकपुरी से पिछला चुनाव हार गए थे. उन्हें AAP नेता राजू धींगन ने हराया था. त्रिलोकपुरी में शुक्रवार शाम हुए सांप्रदायिक दंगे में 17 स्थानीय लोग और 40 पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं. ये दंगा शनिवार दोपहर तक चलता रहा और हालात पर काबू पाने के लिए पूरे इलाके में धारा 144 लगा दी गई और भारी पुलिस बल की तैनाती थी.
स्थानीय लोगों को भी वैद्य पर शक?
'द इंडियन एक्सप्रेस' में छपी खबर के मुताबिक, स्थानीय लोग भी इस दंगों के पीछे वैद्य का हाथ होने का संदेह जता रहे हैं. लोगों का कहना है कि ब्लॉक 21 में हुई सुनील वैद्य की बैठक में भारी संख्या में समर्थक पहुंचे थे और बैठक खत्म होने के बाद सभी लोग नारे लगाते हुए बाहर निकले थे. एक पीसीआर वैन ने भी इस भीड़ को नारे लगाते हुए वैद्य के दफ्तर से बाहर निकलते देखा था और इसी के ठीक बाद वहां दंगे शुरू हो गए थे.
अंग्रेजी अखबार के मुताबिक सुनील वैद्य ने पुलिस द्वारा किसी भी पूछताछ से इनकार किया है. यही नहीं, सुनील का कहना है कि उन्होंने पुलिस को बुलाया और शिकायत की कि पुलिस ने गुरुवार शाम को ब्लॉक 20 में माता की चौकी पर कुछ युवकों की बदतमीजी पर कोई कार्रवाई नहीं की.
मैंने ACP को बुलाया था: सुनील वैद्य
वैद्य ने कहा, 'करीब 200 लोग शुक्रवार सुबह मेरे दफ्तर पहुंचे थे और पुलिस के ढुलमुल रवैये की शिकायत की थी. लोग चाहते थे कि माता की चौकी पर हंगामा करने वाले युवकों को सजा दी जाए. मैंने इलाके के एसीपी को बुलाया और इस बारे में पूछा. अभी एसीपी दफ्तर में लोगों से बातचीत कर ही रहे थे कि उनके पास फोन आया कि माता की चौकी पर भीड़ ने हमला कर दिया. इसके बाद सब लोग मौके पर पुहंचे.' वैद्य ने हमले में उनका हाथ होने से साफ इनकार किया और यह भी दावा किया कि वह मौके पर भी नहीं थे.
इसी बीच पुलिस ने 44 लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें 32 मुसलमान और 12 हिंदू थे. पुलिस ने इस सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. इसमें से कुछ लोगों को फर्जी फोन कर लोगों को उकसाने और लोगों में डर पैदा करने के लिए गिरफ्तार किया गया.
इसके अलावा पुलिस मामले में पूरी जांच में जुटी हुई है. पुलिस के हाथ एक वीडियो भी लगा है, जिसमें एक आदमी दंगे के दौरान फायरिंग करते देखा गया है. पुलिस उस आदमी की तलाश में जुट गई है.