कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर धरने पर बैठे किसानों के खिलाफ पुलिस ने FIR दर्ज की है. किसानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने और महामारी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. किसान 29 नवंबर को लामपुर बॉर्डर से जबरन दिल्ली की सीमा में घुस आए थे और सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर बैठ गए थे. वे रोड को ब्लॉक करके बैठे हैं. किसानों के खिलाफ एफआईआर 7 दिसंबर को अलीपुर थाने में दर्ज की गई.
बता दें कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन 15 दिनों से जारी है. किसानों की मांग है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस ले. वहीं, सरकार संशोधन के लिए तैयार है. सरकार का साफ कहना है कि वो तीनों कानूनों को वापस नहीं लेगी. दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हैं, जिसके कारण टकराव बढ़ता जा रहा है. सरकार की ओर से किसानों को समझाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन किसान अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.
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किसान संगठनों ने तो यहां तक कह दिया है कि सरकार से अब कोई बातचीत नहीं होगी, क्योंकि इतने दिनों से सिर्फ चर्चा ही हो रही है. सरकार हमारी मांगों पर अब फैसला ले.
सरकार और किसानों में नहीं बन रही बात
केंद्र सरकार की ओर से गुरुवार को भी किसानों की समझाने की कोशिश की गई. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को समझाया कि जो कानून बने हैं वो उनके हक में हैं और अगर कोई समस्या है तो सरकार उस पर विचार के लिए तैयार है. कृषि मंत्री ने किसानों से प्रस्तावों पर फिर से विचार करने की अपील की.
कृषि मंत्री की अपील पर किसान नेताओं ने कहा कि पहले भी बहुत बार बात हो चुकी है. कानून रद्द करने से कम पर समझौते का सवाल नहीं है. किसानों की ओर से कहा गया कि सरकार बार-बार जोर देकर कहती है कि ये कानून किसानों के लिए लाभदायक हैं, लेकिन सरकार कानूनों के विरोध के सवालों पर उत्तर देने से साफ बच रही है.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हम कृषि कानून रद्द कराना चाहते हैं. जब तक तीनों कानून रद्द नहीं होता, हमारा आंदोलन खत्म नहीं होगा. हमने सरकार से एमएसपी पर कानून बनाने को कहा था, सरकार ने वो नहीं किया. अब कोई बातचीत नहीं होगी. पहले बहुत चर्चा हो चुकी है.