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किसान आंदोलन: दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर फिर खुले, वाहन चालकों के लिए बड़ी राहत

13 फरवरी को दोनों सीमाओं को सील कर दिया गया था क्योंकि पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कृषि ऋण माफी सहित अपनी मांगों को लेकर 'दिल्ली चलो' मार्च शुरू किया था. सुरक्षाकर्मियों द्वारा उनके मार्च को विफल करने के बाद हजारों किसान दिल्ली से लगभग 200 किलोमीटर दूर अंबाला के पास पंजाब-हरियाणा सीमा पर डेरा डाले हुए हैं.

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पंजाब-हरियाणा के किसानों के आंदोलन के चलते बॉर्डर बंद किए गए थे
पंजाब-हरियाणा के किसानों के आंदोलन के चलते बॉर्डर बंद किए गए थे

संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली चलो मार्च 29 फरवरी तक स्थगित कर दिया है. इसके बाद अब दिल्ली पुलिस ने हरियाणा से सटे बॉर्डर आंशिक रूप से फिर से खोल दिया गया है. दरअसल, किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च के मद्देनजर हरियाणा से लगे सिंघु और टिकरी बॉर्डर को करीब दो हफ्ते से सील किया हुआ था. अब इन्हें वाहनों के लिए आंशिक रूप से खोला जा रहा है.

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दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि वाहनों की आवाजाही की अनुमति देने के लिए सिंघु बॉर्डर पर सर्विस लेन की एक लेन और टिकरी बॉर्डर पर एक लेन खोला गया है. सिंघु और टिकरी बॉर्डर खुलने से दिल्ली से हरियाणा जाने वालों को राहत मिलेगी.

13 फरवरी को दोनों सीमाओं को सील कर दिया गया था क्योंकि पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कृषि ऋण माफी सहित अपनी मांगों को लेकर 'दिल्ली चलो' मार्च शुरू किया था. सुरक्षाकर्मियों द्वारा उनके मार्च को विफल करने के बाद हजारों किसान दिल्ली से लगभग 200 किलोमीटर दूर अंबाला के पास पंजाब-हरियाणा सीमा पर डेरा डाले हुए हैं.

बता दें कि किसान संगठन के नेता सरबन सिंह पंढेर ने शुक्रवार को खनौरी बॉर्डर पर मीडिया से बातचीत में दिल्ली चलो मार्च के स्थगन को लेकर ऐलान किया था. उन्होंने बताया कि आगे की रणनीति पर 29 फरवरी को फैसला होगा और "हम सभी दुखी हैं, हमने अपने युवा किसान शुभकरण सिंह को खोया है. हमने फैसला लिया है कि 24 फरवरी यानी कल हम कैंडल मार्च निकालेंगे."

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 27 फरवरी को होगी किसान यूनियनों की बैठक

संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से किसान नेता सरबन सिंह पंढेर ने आगे कहा, "पुलिस की बर्बरतापूर्ण हरकत से हरियाणा में आपात स्थिति पैदा हो गई है. कल शाम हम दोनों सीमाओं पर कैंडल मार्च निकालेंगे. डब्ल्यूटीओ किसानों के लिए कितना बुरा है, इस पर चर्चा करने के लिए हम कृषि क्षेत्र से बुद्धिजीवियों को बुलाएंगे. 27 फरवरी हम को किसान यूनियनों की बैठक करेंगे. 29 फरवरी को आंदोलन के लिए अपने अगले कदम की घोषणा करेंगे."

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