राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सब्जियों की कीमत में भारी गिरावट दर्ज की गई है. होलसेल सब्जी मंडी में इनकी कीमतें इतनी कम हो गई है कि किसानों को काफी घाटा उठाना पड़ रहा है. आलम यह है कि फसल की लागत तो छोड़िए, जितने का भाड़ा लग रहा है, उतनी कीमत पर भी सब्जियां नहीं बिक रही हैं.
टमाटर एक रुपये से तीन रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है, तो बंद गोभी की कीमत दो रुपये प्रति किलो है. इस तरह अगर आलू को छोड़ दिया जाए, तो सभी सब्जियां 10 रुपये प्रति किलो से भी नीचे दाम पर बिक रही हैं. इसके चलते किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
इसके अलावा पेट्रोल और डीजल के दामों में वृद्धि होने से भाड़ा महंगा हो गया है, जिसके चलते किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है.
मंडी में सब्जियों की सही कीमत नहीं मिलने से नाराज किसान अपनी सब्जियों को फेंक कर चले जा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर से सब्जियों की कीमत कम होने का फायदा आम लोगों को भी नहीं मिल रहा है.
दिल्ली के गाजीपुर सब्जी मंडी में होलसेल दाम
टमाटर : 1-3 रुपये प्रति किलो
बंद गोभी : दो रुपये प्रति किलो
प्याज : छह रुपये प्रति किलो
कद्दू : दो रुपये प्रति किलो
करेला : सात रुपये प्रति किलो
शिमला मिर्च : सात रुपये प्रति किलो
आलू : 14 रुपये प्रति किलो
आलू को छोड़कर ज्यादातर सब्जियों के रेट 10 रुपये प्रति किलो से नीचे पहुंच गए हैं. सबसे ज्यादा खराब हालत टमाटर व्यापारियों की है. किसानों की तो हालत इतनी बुरी है कि आए दिन उन्हें टमाटर फेंककर जाना पड़ रहा है. टमाटर के अलावा दूसरी सब्जियों की भी हालत खराब है. खुद आढ़ती मानते हैं कि किसानों की हालत बर्बादी तक पहुंच गई.
मंडी में सब्जियां सस्ती हुई हैं, लेकिन रिटेल (फुटकर) में अभी भी महंगी बिक रही हैं. सब्जियों के दाम रिटेल में होलसेल से दो से तीन गुना ज्यादा हैं.
आलू : 30 रुपये प्रति किलो
प्याज : 20 रुपये प्रति किलो
टमाटर : 20 रुपये प्रति किलो
भिंडी : 40 रुपये प्रति किलो
बींस : 120 रुपये प्रति किलो
फूलगोभी : 60 रुपये प्रति किलो
सब्जियों के फुटकर रेट से साफ है कि होलसेल के मुकाबले सब्जियां रिटेल में आते-आते दो से तीन गुना तक महंगी हो जाती हैं, जिससे एक बात तो साफ है कि एक तरफ जहां किसान घाटे में जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर आम खरीददार को भी सब्जी महंगी पड़ती हैं यानी मोटा मुनाफा बीच के व्यापारी कमा रहे हैं.