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दिल्ली पर वित्तीय संकट का खतरा! आमदनी के मुकाबले खर्च अधिक होने से बजट गड़बड़ाने के आसार

दिल्ली सरकार के कई विभागों ने अतिरिक्त संसाधन की ज़रूरतों को रेखांकित किया है जिसकी वजह से बजट संकट बढ़ने के आसार हैं. वित्तीय वर्ष 2024-2025 के बजट अनुमानों के अनुसार दिल्ली सरकार की वित्तीय स्थिति, बढ़ती राजकोषीय मांगों के बीच एक सतर्क रुख का संकेत दे रही है.

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दिल्ली की सीएम आतिशी
दिल्ली की सीएम आतिशी

राजकोषीय अधिशेष के अपने हालिया इतिहास के बावजूद, दिल्ली संभावित रूप से गंभीर वित्तीय संकट के कगार पर है. वित्त विभाग ने मुख्यमंत्री को सूचित किया है कि 2024-25 के अंत तक पहली बार शहर का वित्त घाटे में जा सकता है और राज्य को प्राप्त होने वाली आमदनी के मुकाबले इसके खर्चों में बढ़ोतरी हो सकती है.

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इसे लेकर बीजेपी ने AAP सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा, 'दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने ऐसा गंभीर वित्तीय संकट उत्पन्न किया है कि 31 वर्षों में पहली बार दिल्ली राजस्व घाटे की ओर बढ़ रही है। यह स्थिति उनकी असफल नीतियों और वित्तीय कुप्रबंधन का ही परिणाम है. AAP दिल्लीवासियों को जवाब दें कि आखिर क्यों दिल्ली को इस गंभीर आर्थिक संकट में धकेला गया?'

2024-25 के लिए चुनौती

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) के वित्तीय सारांश से पता चलता है कि राजस्व प्राप्तियां लगातार राजस्व व्यय से अधिक रही हैं, जिसकी शुरुआत 2017-18 में ₹4913.25 करोड़ के अधिशेष से हुई, जो 2022-23 में बढ़कर ₹14456.91 करोड़ के महत्वपूर्ण अधिशेष तक पहुंच गई. वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए भी ₹6462.29 करोड़ का एक अच्छा अधिशेष अनुमानित है. हालांकि, 2024-25 के लिए पूर्वानुमान एक संभावित चुनौती पेश कर रहा है, वो भी ऐसे समय में जब प्रारंभिक बजट अनुमान (बीई) ₹3231.19 करोड़ का अधिशेष का है, अतिरिक्त मांग की वजह 1495.48 करोड़ रुपये का संभावित घाटा हो सकता है.

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कई विभागों ने अतिरिक्त संसाधन की ज़रूरतों को रेखांकित किया है जिसकी वजह से बजट संकट बढ़ने के आसार हैं. वित्तीय वर्ष 2024-2025 के बजट अनुमानों के अनुसार दिल्ली सरकार की वित्तीय स्थिति, बढ़ती राजकोषीय मांगों के बीच एक सतर्क रुख का संकेत दे रही है. विधान सभा ने 61,000 करोड़ रुपये के आसपास की अनुमानित प्राप्तियों के साथ एक बजट को मंजूरी दी है. ये फंड मुख्य रूप से सरकार चलाने, परिचालन लागतों हल निकालने, बुनियादी ढांचे को बनाए रखने और कल्याणकारी योजनाओं को सब्सिडी देने के लिए आवश्यक राजस्व व्यय को कवर करने के लिए आवंटित किए गए हैं.

यहां अतिरिक्त खर्च के आसार

हालांकि, राजस्व के मोर्चे पर अतिरिक्त संसाधन की आवश्यकता की बात कही गई है जिसकी वजह से संभावित रूप से बजट और अधिक हो सकता है. प्रमुख विभागीय ज़रूरतों में दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप पेंशन और भत्तों को निधि देने के लिए विधि विभाग के लिए 141 करोड़ रुपये शामिल हैं. बिजली विभाग ने डिस्कॉम के माध्यम से उपभोक्ता सब्सिडी के लिए 512 करोड़ रुपये मांगे हैं, जबकि परिवहन विभाग को इलेक्ट्रिक बसों के लिए 941 करोड़ रुपये की आवश्यकता है.

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इसके अलावा, अतिरिक्त दबाव वाली जरूरतों में सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के लिए आवश्यक डी-सिल्टिंग और जीर्णोद्धार कार्यों के लिए 447 करोड़ रुपये और दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) के लिए 3,271 करोड़ रुपये शामिल हैं. 

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के तहत यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस के अधिग्रहण के लिए अतिरिक्त 250 करोड़ रुपये की भी आवश्यकता है. ये आवश्यकताएं अतिरिक्त 7,362 करोड़ रुपये की हैं.  
 

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