दिवाली नजदीक है, लेकिन इस साल दिल्ली एनसीआर में पटाखे जलाने के शौकीन लोगों को पटाखों के पुराने स्टॉक से ही काम चलाना होगा. इतना ही नहीं इस दिवाली पटाखे जलाना लोगों को महंगा भी साबित होगा.
दरअसल, प्रदूषण की रोकथाम के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के बाहर से आने वाले पटाखों के स्टॉक पर पाबंदी लगाई है. वहीं अस्थायी लाइसेंस में करीब 50 फीसद कटौती की गई है. जिससे पटाखा बाज़ार बिल्कुल मंदा है.
दिल्ली की जामा मस्जिद इलाके का पटाखा बाज़ार सूना पड़ा है. ये वो बाज़ार है जो पटाखों की वैरायटी के लिए मशहूर है, लेकिन इस साल यहां अस्थायी तौर पर लगने वाली करीब 40 दुकानों को लाइसेंस नहीं मिला है. लिहाज़ा पटाखा कारोबारी निराश हैं. पुरानी दिल्ली के इस बाजार में दशहरे से पहले ही पटाखे की दुकानें सजनी शुरू हो जाती थी, लेकिन इस साल दिवाली के 15 दिन पहले भी बाजार में सन्नाटा है.
दरअसल बढ़ते प्रदूषण के मुद्दे पर एक याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखा विक्रेताओं के अस्थायी लाइसेंस की संख्या में 50 फीसदी कटौती करने का आदेश दिया है. साथ ही दिल्ली-एनसीआर में दूसरे राज्यों से पटाखों के स्टॉक लाने पर भी प्रतिबंध है. इसलिए स्थायी पटाखा दुकानों में इस साल पुराना स्टॉक ही मौजूद है. मतलब साफ है कि इस दिवाली सेवाकाशी से आने वाले कई ब्रांडेड पटाखे लोगों की पहुंच से दूर रहेंगे.
सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश तक दिल्ली में पटाखा विक्रेता पुराने स्टॉक ही बेच पाएंगे. कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि नया स्टॉक नहीं होने की वजह से पटाखे महंगे बिकेंगे. वेस्ट दिल्ली फायरवर्क्स एसोसिएशन ने भी दिल्ली एनसीआर में पटाखों के नए स्टॉक पर लगाई गई रोक पर नाराजगी जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिख इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है.
पटाखा विक्रेताओं का मानना है कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के लिए कई दूसरे कारण भी जिम्मेदार हैं. इसलिए पटाखा कारोबारियों ने सुप्रीम कोर्ट में एक पुर्नविचार याचिका भी दाखिल की है. जिसकी सुनवाई 6 अक्टूबर यानी शुक्रवार को होगी.