आरटीआई से खुलासा हुआ है कि नार्थ दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल बड़ा हिंदूराव और मेडिकल कॉलेज पिछले 10 सालों से फायर एनओसी के बिना चल रहा है. कई वार्ड और मेडिकल कॉलेज में फायर सेफ्टी को ताक पर रखकर अस्पताल की इमारत के उपरी हिस्से में ज्वलनशील प्लास्टिक और लकड़ी से बने पोर्टा केबिन चलाए जा रहे हैं.
आरटीआई एक्टीविस्ट संजय गुप्ता ने बताया कि 2017 से आरटीआई के जरिए फायर सेफ्टी और फायर एनओसी को लेकर जबाब मांग रहे हैं लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिला. नेता विपक्ष नार्थ एमसीडी सुरजीत पवार ने कहा कि सत्ता में काबिज बीजेपी को इसकी सुध है ही नहीं. वहीं स्थाई समिति नार्थ एमसीडी में अध्यक्ष जयप्रकाश का दावा है कि जल्द ही इसे दुरुस्त कराकर एनओसी ले ली जाएगी.
वहीं अस्पताल में ये भी पाया गया कि आग की सुरक्षा से जुड़े उपकरण में जंग लगे हैं और बाकी के इंतजाम नाकाफी हैं. शायद यही वजह है कि फायर का अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) अब तक नहीं मिला है. हाल में ही सबसे बड़ा अस्पताल एम्स में भी आग लगी थी, लेकिन इससे एमसीडी ने कोई सबक नहीं लिया. दो सालों में हिन्दूराव अस्पताल में भी कई बार आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं. अस्पताल में चलाए जा रहे पोर्टा केबिन एक बड़ा खतरा है.
चीफ फायर ऑफिसर अतुल गर्ग ने बताया कि जब कोई अस्पताल एनओसी के लिए आवेदन करता है तो दमकल विभाग के अधिकारी मौके पर जाकर एनओसी के लिए निर्धारित मानदंड की जांच कर रिपोर्ट देते हैं. उसके बाद ही एनओसी दी जाती है. अगर कोई कमी है तो उसे पूरा हो जाने के बाद ही एनओसी जारी करते हैं.