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दिल्ली में डेंगू, चिकनगुनिया के बाद मलेरिया का खौफ, मरीज ने अस्पताल में तोड़ा दम

दिल्ली के चंदर विहार में रहने वाले प्रवीण शर्मा की 4 अगस्त को सफदरजंग अस्पताल में मलेरिया से मौत हो गई.

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दिल्ली में मलेरिया से मरीज की मौत पर हड़कंप
दिल्ली में मलेरिया से मरीज की मौत पर हड़कंप

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राजधानी में पिछले पांच सालों में मलेरिया से इस सीजन में पहली मौत हुई है. एक तरफ श्रीलंका को WHO मलेरिया फ्री का स्टेटस दे रहा है तो दूसरी तरफ भारत में जुलाई तक करीब 4 लाख 71 हजार मलेरिया के मामले रिपोर्ट हुए हैं और 119 लोगों की मौत हुई है.

दिल्ली के चंदर विहार में रहने वाले प्रवीण शर्मा की 4 अगस्त को सफदरजंग अस्पताल में मलेरिया से मौत हो गई. निगम के मुताबिक पिछले पांच सालों में राजधानी में ये मलेरिया से होने वाली पहली मौत है. हालांकि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को ठीक से याद नहीं कि इसके पहले कब राजधानी में किसी ने मलेरिया से दम तोड़ा था.

ये हालत तब है जब मच्छरों से पनपने वाली बीमारियों से लड़ने के लिए दिल्ली में तीनों निगमों के करीब 4 हजार कर्मचारी लगे हैं और इनके पास सालाना करीब 78 करोड़ का बजट है, फिर भी राजधानी में इस मौसम में मलेरिया के 19 मामले, डेंगू के 771 मामले और चिकनगुनिया के 560 मामले सामने आए हैं.

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लेकिन दिल्ली से बाहर झांकने पर मलेरिया का असली खौफ सामने आता है. साल 2016 में अब तक मलेरिया से 121 मौतें हो चुकी हैं, जबकि मलेरिया के 4,71,000 मामले सामने आए हैं. इसके अलावा चिकनगुनिया के 12,555 और डेंगू के 27,889 मामले सामने आए हैं.

गौरतलब है कि इसी सोमवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने श्रीलंका को मलेरिया मुक्त घोषित कर दिया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट के मुताबिक ये वेक्टर बोर्न डिसीस है, अगर हम चाहते हैं कि हमारे देश से मलेरिया खत्म हो तो हमें पूरी तरह वेक्टर बोर्न डिसीस को ही खत्म करना होगा. उन्होंने कहा कि मच्छर, प्यूपा और लार्वा को पूरी तरह से खत्म करना होगा. आईएमए को नहीं लगता है कि इंडिया अभी उस स्टेज तक पहुंच गया है कि इसे पूरी तरह खत्म करने के बारे में बात करे.

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