आम आदमी पार्टी (AAP) की रैली में फांसी लगाकर जान देने वाले किसान गजेंद्र सिंह का इरादा खुदकुशी का नहीं था और उसकी मौत एक 'हादसा' थी. सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने जिलाधिकारी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में घटना को एक हादसा माना है.
फॉरेंसिक जानकारों ने माना है कि गजेंद्र की मौत दम घुटने से हुई. हालात और तस्वीरों के आधार पर की गई जांच से पुलिस को लगता है कि गजेंद्र ने अपना संतुलन खो दिया. उसने संभवत: सिर्फ दिखाने के मकसद से अपने गले में गमछा बांध रखा था, तभी उसका पैर डाल से फिसल गया और गले में फांसी लगने से उसकी मौत हो गई.
अपने रिपोर्ट कार्ड में पुलिस ने यह भी दावा किया है कि उसने गजेंद्र को पेड़ से सुरक्षित उतारने के लिए प्रशिक्षित स्टाफ की मदद और दमकल विभाग से सीढ़ी मांगी थी. रिपोर्ट के मुताबिक, 'हालांकि रैली में आए लोगों ने उसे उकसाया-भड़काया , जिसके बाद उसने यह कठोर कदम उठाया. फिर AAP वॉलंटियर्स उसे उतारने के लिए पेड़ पर चढ़ गए, लेकिन वे ऐसे काम के लिए प्रशिक्षित नहीं थे. लिहाजा उनका बैलेंस बिगड़ गया और मृतक नीचे गिर पड़ा.'
दिल्ली पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों को भी घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चाणक्यपुरी के एसडीएम अस्पताल और मुर्दाघर पहुंचे थे और कहा था कि उन्हें दिल्ली सरकार ने मजिस्टेरियल पूछताछ के लिए अधिकृत किया है. उन्होंने कहा कि शव का तुरंत पोस्टमॉर्टम होना चाहिए और शव को मुर्दाघर में रखना चाहिए. रिपोर्ट के मुताबिक, 'स्थानीय पुलिस ने जब उनसे इस बारे में आधिकारिक आदेश दिखाने को कहा गया तो वह नहीं दिखा पाए.'
दिल्ली पुलिस ने यह रिपोर्ट डीएम को सौंपी है जो दिल्ली सरकार के अंतर्गत आते हैं. सूत्रों ने यह भी बताया कि दिल्ली सरकार इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है.