देश भर में पति-पत्नी के बीच सहिष्णुता तेजी से घट रही है, जिसके चलते छोटे-मोटे विवाद भी अदालत की चौखट तक पहुंच रहे हैं. केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय ने खुलासा किया है कि पिछले तीन साल के दौरान अदालतों में आने वाले कुल मुकदमों में मियां-बीवी के बीच तकरार के सवा तीन लाख से ज्यादा मामले अदालत की ड्योढ़ी लांघ गए. अदालत पहुंचे इन मामलों में ज्यादातर मामले पति-पत्नी के बीच अहम, अधिकार और अना की लड़ाई के हैं.
सबसे कम है भारत में तलाक का औसत
विधि और न्याय मंत्रालय की ओर से जारी किए आंकड़ों के मुताबिक अदालतों में मुकदमे निपटाने के बावजूद लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है, क्योंकि जितने मामले कोर्ट निपटाता है. उससे ज्यादा हर रोज नए मामले दाखिल भी हो जाते हैं. तुलनात्मक आंकड़े ये भी बताते हैं कि मुकदमे भले कोर्ट तक पहुंच रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद दुनिया भर में सबसे कम तलाक का औसत भारत में ही है.
अदालत में लंबित हैं 11 लाख मुकदमें
दुनिया भर में तलाक को लेकर शोध करने वाली एक निजी वेबसाइट के अनुसार, पूरी दुनिया में विवाहों की संख्या के मुकाबले तलाक की दर भारत में सबसे कम यानी लगभग एक फीसदी है, जबकि मालदीव में सबसे ज्यादा तलाक दर 5.52 फीसदी है. वहीं, देश भर में फिलहाल 812 परिवारिक अदालतें काम कर रही हैं. जिनमें 11 लाख से अधिक मुकदमे लंबित मामले हैं.
3 साल में बढ़े रिकॉर्ड मामले
देश भर में पति-पत्नी के बीच तकरार के मामले साल दर साल बढ़ रहे हैं, लेकिन बीते तीन सालों में ऐसे मामलों का आंकड़ा दुगनी रफ्तार से बढ़ा है. साल 2021 में 4,97, 447 मामले थे जो साल 2022 में बढ़कर 7,27,587 हो गए. वहीं, साल 2023 में ये आंकड़ा 8,25,502 को पार कर गया.
अदालत ने निपटाए रिकॉर्ड मामले
बता दें कि अदालतों ने बीते तीन सालों में परिवारिक विवाद निपटाने का भी रिकॉर्ड बनाया है. कोर्ट ने साल 2021 में 5,31,506 और 2022 में 7,44,700 पारिवारिक विवाद निपटाए. वहीं, पिछले साल 2023 में महिलाओं की वित्तीय आजादी तलाक की बड़ी वजह के रूप में दिखी है. इसके बावजूद इस साल 8,26,000 मामले निपटाए.
लगातार बढ़ रही हैं तलाक की अर्जियां
अदालत में लगातार तलाक की अर्जियां बढ़ रही हैं. इसके पीछे अहम वजह घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, तलाक, बच्चों की कस्टडी, दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना, किसी भी व्यक्ति की वैवाहिक स्थिति की घोषणा, वैवाहिक संपत्ति मामला, गुजारा भत्ता, पति-पत्नी में विवाद होने पर बच्चों से मिलने का अधिकार से संबंधित मामले और बच्चों के संरक्षक से जुड़े मामले की सुनवाई होती है. सबसे अधिक दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और तलाक के मामले दाखिल होते हैं.