छठ पूजा की तैयारियों में पूरा देश जुटा हुआ है और दिल्ली-एनसीआर में भी छठ पूजा के रंग देखने को मिल रहे हैं. लोग घाटों पर सूर्य को अर्घ्य देने के लिए अपनी अपनी जगह पक्की करने में लगे हुए हैं. दिल्ली सरकार ने भरोसा दिलाया था कि छठ से पहले घाटों की सफाई कर दी जाएगी. लेकिन जब हमने घाटों पर जाकर स्थिति का जायजा लिया तो सरकारी दावों की पोल खुल गई.
दिल्ली के घाट या शहर के बीच में कई नहर की ऊपरी रंगाई पोताई जारी है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस बार लोगों को भरोसा दिलाया था कि छठ पूजा से पहले घाटों की सफाई पूरी हो जाएगी और साथ ही सुरक्षा के भी पुख्ता इंतेज़ाम किए जाएंगे, लेकिन दिल्ली के घाटों जायजा लेने पता चलता है कि सरकार की कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क है.
न्यू अशोक नगर में घाटों पर गंदगी
दिल्ली के न्यू अशोक नगर के घाट पर मौजूद लोग अपने अपने हिस्से की सफाई में लगे हैं और प्रशासनिक तैयारियों के नाम पर बस बांस के बैरिकेड ही नजर आए. पानी पर प्लास्टिक के बैग और दूसरी चीजें तैरती दिखी और किनारों पर तो गंदगी का अंबार लगा दिखा, जिसे साफ करने की कोई सरकारी मंशा नही दिखी. 8 साल से दिल्ली के न्यू अशोक नगर में रहने वाले जय और ऋतुराज घाट पर सफाई कर अपने हिस्से में सूर्य देवता को अर्घ्य देने के लिए चबूतरा बना रहे थें, पूछने पर उन्होंने बताया की इस बार उनको उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री के वायदे के बाद घाट पर सफाई होगी पर इस बार भी वो निराश हुए. किनारों पर बजबजाते कीड़े और मच्छरों के बीच प्लास्टिक और दूसरी गंदगी में खड़े होकर हर साल उनकी मां, बहन और बीवी अर्घ्य देती हैं. अधिकतर लोगों को गंदगी से फंगल इंफेक्शन भी हो जाता है, इस बार भी हालत वैसे ही मिलने पर वे बेहद नाउम्मीद हुए.
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कोंडली में नहीं बनी पक्की सीढ़ियां
कुछ ऐसे ही हालात दिल्ली के कोंडली इलाके में नहर के आस पास बने घाटों पर देखने को मिले. पिछली बार मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इस घाट के दोनों तरफ पक्की सीढ़ियां बनवाने का वायदा किया पर ऐसा कुछ भी नही हुआ जिससे लोग दुखी हैं. 12 साल से दिल्ली के इस इलाके में रह रहे राय परिवार बीते 5 सालों से यहां छठ पूजा कर रहे हैं. उनका मानना है कि पहले और अब में फर्क बस इतना है कि किनारों पर कच्ची मिट्टी डलवा दी गई है और साफ सफाई के नाम और बस खानापूर्ति ही की गई है. किनारों पर गंदगी का अंबार है और बदबू इतनी के पांच मिनट खड़े होने पर इंसान बीमार पड़ जाए. 15 साल के विनय राय का कहना है कि यहां से बेहतर बिहार के घाट है, यहां घाट पर पूजा की तस्वीर भी लेने पर शर्म आती है. क्योंकि तस्वीरों में ऐसा लगता है कि वो नाले में खड़े होकर पूजा कर रहे हैं.
यमुना अब भी मैली
दिल्ली के मुख्य घाटों में एक आईटीओ पर हालात थोड़े बेहतर दिखे. लेकिन यमुना का पानी नाले की तरह लगा, पानी की सफाई में लगी मोटर बॉट्स केवल प्लास्टिक और ऊपरी कचड़े को ही साफ कर रहे थे, जबकि किनारों पर गंदगी और कीचड़ में पनपते मच्छरों और बदबू में वहां खड़ा होना मुश्किल है.