दिल्ली का गाजीपुर बॉर्डर एक बार फिर सियासत के केंद्र में हैं. आज वहां जबरदस्त हलचल है. विपक्षी नेताओं का एक दस्ता आज वहां पहुंचा. इसमें 8 राजनीतिक दलों के सांसद थे. इन सांसदों ने किसानों से मुलाकात की. उनकी मुश्किलें जानीं और लौटकर ये सांसद, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को रिपोर्ट देंगे.
इस बीच गाजीपुर बॉर्डर पर आज भी सुरक्षा सख्त है. हालांकि दिल्ली पुलिस ने कील-कांटों की कतारें ढीली करनी शुरु कर दी है. दिल्ली पुलिस का कहना है कि इन्हें नए सिरे से लगाया जाएगा यानी अभी ये साफ नहीं कि गाजीपुर बॉर्डर से सुरक्षा कम की जाएगी या नहीं. हालांकि, दिल्ली पुलिस के सूत्रों के कहना है कि कुछ जगहों पर कीलों की री-पोजिशनिंग की जा रही है.
विपक्ष के सांसदों के आते ही हटाई गई कील
कील हटाने की कवायद ठीक उस वक्त हुआ है, जिस समय विपक्ष के 15 सांसद दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचे हुए थे. एक तरफ सांसदों को बैरिकेड की दूसरी तरफ यानी दिल्ली की साइड में रोक दिया गया था. दूसरी तरफ यानी गाजियाबाद की ओर लोहे के कीलों की इन पट्टियों को हटाने का सिलसिला शुरू हुआ.
सिर्फ एक ही कर्मचारी सबको हटा रहा था और जब उससे आज तक ने बात की तो जवाब मिला, 'मैं एक दुकान से आया हूं और मुझे कहा गया है कि इन कीलों को यहां से हटा दिया जाए, लेकिन मुझे यह नहीं पता कि आखिरकार किसके आदेश पर इसे हटाया जा रहा है.'
दिल्ली पुलिस बोली- हटा नहीं, री-पोजिशनिंग कर रहे हैं
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि हम गाजीपुर से कील हटा नहीं रहे हैं, बल्कि कुछ जगहों पर पब्लिक जो आने-जाने वाली है उसको परेशानी न जो इसलिए हम कीलों की री-पोजिशनिंग कर रहे हैं. वहीं, गाजीपुर बॉर्डर पर मौजूद एक पुलिसकर्मी ने आजतक से बातचीत में कहा कि फिलहाल कीलों को निकाला जा रहा है, अभी पता नहीं है कि कैसे और कब कीलें लगाई जाएंगी.
आपको बता दें कि 26 जनवरी की हिंसा के बाद संसद सत्र की शुरुआत से ही गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने ना सिर्फ मुख्य सड़कों पर बैरिकेडिंग और रास्तों को कंटीले तारों से रोका था बल्कि आसपास के जंगल वाले इलाके में कंटीले तार लगा दिए थे. ऐसा करने से सबसे ज्यादा परेशानी आम लोगों को हो रही है.
इस बीच एनसीपी नेता सुप्रिया सुले समेत विपक्ष के कई सांसद आज गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे हैं, हालांकि उन्हें पुलिस ने रोक लिया है. बीते कुछ वक्त में लगातार विपक्षी नेताओं का गाजीपुर बॉर्डर पर जमावड़ा लगा है. यहां राकेश टिकैत की अगुवाई में किसानों का आंदोलन बीते 70 दिन से अधिक समय से चल रहा है.