दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया है कि दिल्ली में 70 फीसदी प्रदूषण बाहर से आ रहा है. जबकि दिल्ली के स्रोत सिर्फ 30 फीसदी प्रदूषण पैदा कर रहे हैं. दिल्ली सरकार ने बताया कि केंद्र सरकार की एजेंसी आईआईटीएम के डाटा का सीएसई ने विश्लेषण किया है. गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से दिल्ली-एनसीआर से जुड़े सभी पर्यावरण मंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग भी दोहराई है.
'दिल्ली के बाहर से आता है प्रदूषण'
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर प्रदूषण को लेकर पिछले कई दिनों से लगातार बहस चल रही है कि दिल्ली के अंदर जो प्रदूषण है, उसकी मुख्य वजह क्या है? दिल्ली के अंदर का प्रदूषण है, दिल्ली के बाहर का प्रदूषण है, गाड़ियों का प्रदूषण है या पराली का प्रदूषण है, निर्माण का प्रदूषण है या बायोमॉस बर्निंग का प्रदूषण है. कोर्ट से लेकर विशेषज्ञों के बीच में लगातार यह बात चल रही है. दिल्ली के अंदर 2016 में एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी) के द्वारा सोर्स अपोर्समेंट स्टडी की गई थी. उस स्टडी में इस बात को सामने रखा था कि दिल्ली के अंदर जो प्रदूषण है, उसमें 64 फीसदी प्रदूषण दिल्ली के बाहर से आता है. 36 फीसद प्रदूषण दिल्ली के अंदर का है. चूंकि यह स्टडी 2016 की थी, तो यह सवाल पैदा होता था कि क्या 2016 की स्थिति वर्तमान में बनी हुई है या उसमें कुछ परिवर्तन हुए हैं. आज की वर्तमान स्थिति क्या है? आज दिल्ली के अंदर जो प्रदूषण है, उसमें किसका कितना योगदान है?
69 फीसदी हुआ बाहरी प्रदूषण
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) प्रदूषण पर काम करने वाली एक जानमानी है. दिल्ली में केंद्र सरकार की संस्था इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मैनेजमेंट (आईआईटीएम) भी है. आईआईटीएम का एप सफर है. आईआईटीएम सफर के माध्यम से प्रदूषण का सारा डाटा जारी करता है. इसके द्वारा डिसिजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) का जो डाटा है, उसको लेकर सीएसई ने 24 अक्टूबर से 8 नवंबर तक 15 दिनों का प्रति घंटे के हिसाब से डाटा विश्लेषण किया. सीएसई ने केंद्र सरकार के ऐप सफर द्वारा उपलब्ध कराए गए डाटा को विश्लेषण किया और विश्लेषण के आधार पर सीएसई ने रिपोर्ट जारी की है. वह रिपोर्ट कहती है कि 31 फीसदी प्रदूषण दिल्ली के अंदर का है और 69 फीसदी प्रदूषण दिल्ली के बाहर का है. दिल्ली के अंदर बाहर से 69 फीसदी प्रदूषण आ रहा है. अगर मोटा-मोटा कहें कि दिल्ली के अंदर का स्रोत 30 फीसदी प्रदूषण पैदा कर रहे हैं और 70 फीसदी बाहर से दिल्ली में प्रदूषण आ रहा है. सफर के डेटा का विश्लेषण करके सीएसई ने जो रिपोर्ट जारी की है, यह रिपोर्ट 2016 के टेरी की तरफ से जारी डाटा से मेल खाती है. टेरी के डेटा में दिल्ली का प्रदूषण 36 फीसद था और आज वह प्रदूषण घट कर 31 फीसद हो गया है. दिल्ली के अंदर जो बाहर से प्रदूषण आता था वह पहले 64 फीसद था. अब जो सीएसई की रिपोर्ट आई है उसके अनुसार बाहर का प्रदूषण बढ़कर 69 फीसद हो गया है.
'दिल्ली वालों ने कोई जहर नहीं घोला'
इस रिपोर्ट में दिखाए गए चार्ट के अनुसार उस दौरान 14 फीसद बायोमॉस बर्निंग का प्रदूषण था. उसके बाद से लगातार पराली की घटनाएं बढ़ी हैं. सुप्रीम कोर्ट में भी कल केंद्र सरकार ने इस बात को स्वीकार किया कि जो 4 फीसदी का डाटा दिया था, वह पूरे साल का डाटा है. इस समय प्रदूषण में पराली का योगदान करीब 35 से 40 फीसदी है. पर्यावरण मंत्री ने कहा कि सभी पार्टियों और तमाम लोगों के द्वारा बार-बार जो दिल्ली के लोगों को गालियां दी जा रही हैं कि दिल्ली वालों से जहर घोल दिया है तो यह बिल्कुल गलत है. 2016 का टेरी का डेटा भी वही बात कहता है और अभी सीएसई का इस साल का डेटा भी यही बात कह रहा है. यह केंद्र सरकार के डेटा का विश्लेषण है कि दिल्ली के अंदर जो प्रदूषण पैदा हो रहा है, वह केवल 30 फीसद ही है और 70 फीसद प्रदूषण दिल्ली में बाहर से आ रहा है. दिल्ली के अंदर का प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली सरकार लगातार काम कर रही है, लेकिन जो 70 फीसदी प्रदूषण बाहर से आ रहा है, उसे कम करने के लिए दिल्ली के लोग एड़ी चोटी का भी जोर लगा दें, तो इस बाहर के प्रदूषण को दिल्ली के लोग कम नहीं कर सकते हैं.
'दिल्ली के अंदर कोई ईट-भट्टे नहीं चलते'
उन्होंने कहा कि इसलिए बार-बार केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से निवेदन कर रहे हैं कि संयुक्त बैठक करके संयुक्त एक्शन प्लान बनाना पड़ेगा. संयुक्त एक्शन प्लान बनाए बिना और उसको जमीन पर लागू किए बिना दिल्ली वालों को निजात नहीं मिल सकती है. दिल्ली के अंदर का जो प्रदूषण है उसके लिए हम लगातार काम कर रहे हैं. लेकिन दिल्ली के अंदर का प्रदूषण सिर्फ 30 फ़ीसदी है और बाहर का प्रदूषण 70 फ़ीसदी है. ऐसे में बाहर का प्रदूषण कैसे कम होगा. गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर ईट-भट्टे नहीं चलते हैं लेकिन जितने आसपास के भट्टे हैं उनको एडवांस तकनीक पर ले जाने की बात हर बार होती है लेकिन होता कुछ भी नहीं है. पूरा प्रदूषण आज का दिल्ली के अंदर आ रहा है. अभी इमरजेंसी में थर्मल पावर प्लांट को बंद करने की बात कही गई है. कई सालों से यह बात चल रही है लेकिन हर बात इस बात को टाल दिया जाता है कि उसे एडवांस तकनीकी पर ले जाया जाए. लेकिन उन्हें एडवांस तकनीकी पर नहीं ले जाया जा रहा है. चारों तरफ दिल्ली के निर्माण कार्य चल रहे हैं. बिना किसी मानक को पूरा किए बिना चल रहे हैं. उस पर लगाम लगाने के लिए कार्रवाई नहीं दिखती है. इस समय खासतौर पर 54 फीसदी प्रदूषण के जो स्त्रोत हैं वह स्थाई है. सुप्रीम कोर्ट में कल केंद्र सरकार ने इस बात को माना है कि पराली जलने की घटनाएं और उनका प्रदूषण में हिस्सेदारी बढ़कर 35 से 40 फ़ीसदी हुई है. जिसका असर दिल्ली के अंदर दिख रहा है.