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DTC बसों में नहीं लगे GPS, पिछले साल 'आप' के मंत्री ने किया था दावा

आरटीआई से मिली जानकारी ने डीटीसी बसों को लेकर दिल्ली सरकार के दावों की पोल खोलकर रख दी है.

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प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

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दिल्‍ली के अलग-अलग रूट पर करीब 3800 बसें चलती हैं. लेकिन इन बसों में जीपीएस सिस्टम ही नहीं है. दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत ने महिला सुरक्षा के मद्देनजर पिछले साल ही डीटीसी बसों में जीपीएस सिस्टम लगाने की बात कही थी. ये खुलासा आरटीआई से हुआ है.

आरटीआई से मिली जानकारी ने डीटीसी बसों को लेकर दिल्ली सरकार के दावों की पोल खोलकर रख दी है. जब हमने इसकी पड़ताल की तो दिल्ली में दौड़ती इन बसों में कहीं भी जीपीएस सिस्टम नज़र नहीं आए. और तो और बस चालकों से जब हमने बात की तो पता चला कि कुछ बसों में लगे तो थे, लेकिन उसके हटा दिया गया.

कितनी बसो में नहीं है जीपीएस सिस्टम

हसनपुर डिपो से रोजाना 150 बसें बनकर चलती हैं. इनमें से एक भी बस में जीपीएस नहीं है. रोहणी डिपो की बात करें तो इस डिपो से 110 बसें चलती हैं, उनमें भी जीपीएस सिस्टम नहीं है. वहीं, वज़ीरपुर डिपो में 105 बसें दिन के वक्त और 99 बसें शाम को चलती हैं, लेकिन इन बसों में भी जीपीएस नहीं है.

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यही हाल सुभाष प्लेस डिपो का भी है. इस डिपो से 110 लो फ्लोर बसें चलती हैं सभी में जीपीएस सिस्टम हैं, लेकिन वो भी काम नहीं करते. हालांकि इन 40 डिपो में एक डिपो ऐसे भी है जिसने जानकारी दी उसके डिपो से 100 लो फ्लोर बसें चलती हैं और उन सब में  जीपीएस सिस्टम है. और सभी काम भी कर रहे हैं. ये डिपो एस एन डिपो है.

जीपीएस सिस्टम की आखिर जरूरत क्यों?

जीपीएस सिस्टम न होने के कारण आप दिल्ली की सड़कों पर दौड़ती इन बसों की लोकशन को ट्रक नहीं कर सकते हैं. इससे बस ड्राइवर अपनी मनमर्जी के बस का रूट चेंज कर लेता है. जिससे मुसाफिरों को परेशानी होती है. सुरक्षा के लिहाज से बसों में जीपीएस सिस्टम होने से डिपो मैनेजर ओर अधिकार बसों को ट्रैक कर सकते हैं.

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