दिवाली पर 'कुछ मीठा हो जाए' का चलन सालों पुराना है. परिवार, दोस्त और रिश्तेदार एक दूसरे से मिलते हैं और इस मिलन की गवाह बनती है खोए से बनी अलग-अलग किस्म की मिठाइयां.
पर इस दिवाली दिल्ली का खोया बाजार मंदा पड़ा है. दिल्ली एनसीआर की सबसे बड़ी खोया मंडी दिल्ली के मोरी गेट पर सजती है. यूपी के अलग-अलग जगहों से खोया यहां आता है, जिसे बाद में दिल्ली एनसीआर के बड़े छोटे मिठाई विक्रेता खरीदते हैं.
क्यों नाराज हैं व्यापारी
मंडी के दुकानदार इन दिनों बेहद खफा है. कारण है जीएसटी. पहले जहां खोया या मावे पर कोई टैक्स नहीं लगता था, वहीं जीएसटी के तहत अब खोया पर 5 फीसदी टैक्स लगा दिया गया है. दुकानदारों की शिकायत है कि पहले नोटबंदी से व्यापार धीमा हुआ और अब जीएसटी ने पूरी तरह दुकानदारी चौपट कर दी है.
दरअसल खोए और मावे का बाजार पूरी तरह कैश पर निर्भर करता है और खोए की आपूर्ति करने वाले अधिकतर दिल्ली के आस-पास के गांवों में रहने वाले किसान हैं. दिल्ली क खोया मंडी में खोए की आपूर्ति करने वाले अधिकतर किसानों के पास जीएसटी नंबर है ही नहीं. यहां तक कि इस मंडी में मौजूद दुकानदारों में से भी अधिकतर जीएसटी से वाकिफ भी नहीं हैं, हो वे इस लेकर नाराज जरूर हैं.
45 वर्षों से मंडी में दुकान लगा रहे अरुण कुमार कहते हैं, "पिछले साल के मुकाबले इस साल कमाई आधी रह गई है, और इसमें सबसे ज्यादा नुकसान छोटे व्यपारियों को हुआ है, जिन्हें घर चलाने के लाले पड़ गए हैं. इतने सालों में यह पहली ऐसी दीवाली है जब धंधा पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है."
महंगाई और जीएसटी की मार
जीएसटी के बाद जो किसान गांवों से खोया ला रहे हैं, उनपर भी टैक्स लगा दिया गया है. गुस्साए आढ़तियों का आरोप है कि जब वे माल सप्लाई के लिए जाते हैं तो उनको जगह-जगह रोककर उनसे पैसे मांगे जाते हैं. ऐसे में अब कोई रिस्क लेने के लिए तैयार नहीं है. मिठाइयां यूं तो हर त्यौहार का हिस्सा रही हैं, पर इस बार महंगाई के बोझ तले दबा आम आदमी भी जरूरत की चीजें ही जोड़ने में लगा है. मिठाइयां अब विलासिता यानी लग्जरी आइटम हो गई हैं.
टैक्स लगने के बाद खोया महंगा हो गया है. पिछली बार दिवाली पर जहां खोया 190 रुपये प्रति किलोग्राम के करीब था, वहीं इस बार 240 या उसके ऊपर बिक रहा है. जाहिर तौर पर इसका असर मिठाइयों के दामों पर भी पड़ेगा और मिठाइयां महंगी हो जाएंगी. कुल मिलाकर इस दिवाली पर जहां पटाखों का बाजार पूरी तरह ठप हो चला है, वहीं खोए और पनीर का बाजार भी मंदा ही रहने वाला है.