जीएसटी के लागू होते ही दिल्ली के बाज़ारों में मंदी का आलम है. सबसे ज्यादा असर दिल्ली के पुराने बड़े होलसेल बाज़ारों पर पड़ा है. जहां से देश भर के रिटेलर्स खरीदारी करने आते हैं. फैशन के मामले में दिल्ली दुनिया के दूसरे देशों को टक्कर देती है. यहां हर दिन बाज़ारों में नया ट्रेंड देखने को मिलता है. जिसे देश भर के युवा कॉपी करते हैं. लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद न तो नया माल बन रहा है, और ना ही होलसलेर खरीद रहे हैं. हालात ये हैं कि करीब एक महीने पुराने स्टॉक से ही बाजार भरे पड़े हैं. अगर ऐसा ही हाल बना रहा तो दिल्ली फैशन के मामले में पिछड़ जाएगी. जिसका सीधा असर युवाओं पर पड़ेगा जो नए फैशन ट्रेंड्स के दीवाने हैं.
क्यों पड़ रहा है बाज़ारों पर असर
- बाज़ारों से खरीदार नदारत
- खरीदार न होने की वजह से सामानों के प्रोडक्शन में कमी आई है.
- बाज़ारों में एक महीने पुराने फैशन ट्रेंड्स के स्टॉक की भरमार है.
- हर दिन बदलते फैशन के दौर में बाज़ारों में खरीदार नहीं होने से होलसेल डीलर्स को हर दिन लाखों के नुकसान का बोझ उठाना पड़ रहा है.
टैक्सटाइल हब पर असर
एशिया की सबसे बड़ी कपड़ों की मार्किट गांधीनगर सुनसान है. नए माल के प्रोडक्शन बंद हैं, और पुराने माल के खरीदार नदारत हैं. गांधी नगर में डेनिम्स की दुकान चलाने वाली फरीदा का कहना है कि हमारा काम बहुत छोटा है, इतनी कमाई ही नहीं है कि हम सीए को नौकरी पर रखें.
फुटवियर पर असर
0 से सीधे 18 फीसदी टैक्स स्लैब में आने वाले फुटवियर बिज़नेस का हाल बुरा है. देश भर में जूता व्यापारी प्रदर्शन कर रहे हैं. पहले भी इन पर टैक्स लगाने के प्रयास किये गए लेकिन जूता बनाने में लगने वाले सामानों पर अलग-अलग टैक्स स्ट्रक्चर की जटिलता के चलते इनको राहत दी गई. लेकिन अब इनपर भी टैक्स का भारी बोझ पड़ा है. जल्द ही बाज़ारों में मिलने वाले जूतों के रेट्स बड़ जाएंगे फिर चाहे वो पटरी बाजार हो या शोरूम.