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खंडहर बन चुकी हवेली की फिर लौटी पुरानी रौनक, मिला यूनेस्को अवॉर्ड

गोयल ने कहा कि अवॉर्ड बताता है कि इस हवेली को पुरातत्व नियमों के मुताबिक संवारा गया है. छज्जों से लेकर खंबों तक को मूल रूप दिया गया है. उन्होंने कहा कि वो हवेली को पुरानी शक्ल लौटाना चाहते थे, इसलिए राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश के कई शहरों में जाकर उन्होंने इसके लिए सामान जुटाया है.

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हवेली
हवेली

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पुरानी दिल्ली की एक खंडहर हवेली अपने असली रूप में लौटी तो यूनेस्को ने भी इसे मान्यता दे दी है. जामा मस्जिद के पास हवेली धर्मपुरा को यूनेस्को का एशिया पेसिफिक हेरिटेज कन्जर्वेशन अवॉर्ड मिला है. इसका ऐलान केंद्रीय राज्य मंत्री विजय गोयल ने किया. गोयल ही इस हवेली के जीर्णोद्धार के लिए जिम्मेदार हैं और उनके परिवार का इस हवेली पर मालिकाना हक है.

राजनीति में चर्चित रही हवेली

दरअसल धर्मपुरा की ये हवेली जर्जर और गिराऊ हालत में आ चुकी थी, तब बीजेपी नेता विजय गोयल ने इसे खरीदा था. विजय गोयल को राजनेता के अलावा एक हेरिटेज लवर के तौर पर भी जाना जाता है. हालांकि गोयल के इस हवेली को खरीदने को लेकर काफी विवाद भी हुआ था और उन पर आम आदमी पार्टी ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर सरकारी सुविधाएं और टैक्स में छूट लेने का आरोप भी लगाया था.

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नए रूप में हवेली बनने के बाद गोयल ने कहा कि तमाम परेशानियों के बाद भी उन्होंने चांदनी चौक की ऐतिहासिक विरासत को संवारा है. अब सरकार को ऐतिहासिक इमारतों और हवेलियों के रखरखाव और जीर्णोद्धार के लिए नियम सरल करने चाहिए. साथ ही सुविधाएं भी दी जानी चाहिए.

हवेली को फिर से बनाया गया

गोयल ने कहा कि अवॉर्ड बताता है कि इस हवेली को पुरातत्व नियमों के मुताबिक संवारा गया है. छज्जों से लेकर खंबों तक को मूल रूप दिया गया है. उन्होंने कहा कि वो हवेली को पुरानी शक्ल लौटाना चाहते थे, इसलिए राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश के कई शहरों में जाकर उन्होंने इसके लिए सामान जुटाया है. हवेली को बाकायदा पुरातत्व के जानकारों की सलाह के मुताबिक फिर से बनाया गया है. हवेली के इतिहास के मुताबिक इसका मूल मालिक मुसलमान परिवार था, लेकिन बाद में यहां जैन आबादी ज्यादा हुई, तो ये हवेली एक जैन परिवार के पास आ गई थी. साथ ही इस इलाके का नाम भी धर्मपुरा कर दिया गया.

हवेली में है लखौरी रेस्टोरेंट

इस हवेली में अब एक हेरिटेज बुटिक होटल शुरू किया गया है, जिसमें चांदनी चौक की तमाम खासियतों को ध्यान में रखकर इंटीरियर बनाया गया है. लखोरी ईंटों से बने हॉल को रेस्टोरेंट बनाया गया है. चांदनी चौक की सभी पुरानी इमारतें इन्हीं लखौरी ईंटों से बनी है. यही नहीं रेस्टोरेंट का नाम भी ईंट के नाम पर लखौरी रेस्टोरेंट रखा गया है. इस हवेली के सूरत बदलने के बाद अब चांदनी चौक की तमाम हवेलियों के दिन फेरने की चर्चा फिर से गरम हो सकती है, क्योंकि इसी काम के लिए पहले सरकार शाहजहांनाबाद रिडेवलपमेंट अथॉरिटी बना चुकी है.

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