वायु प्रदूषण के मुद्दे परदिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को सरकार और संबंधित अधिकारियों के प्रति नाराजगी जताई. नाराज कोर्ट ने कहा कि क्या वायु प्रदुषण को कम करने के लिए क्या संबंधित अधिकारियों को जेल भेजने का ऑर्डर कोर्ट जारी करें, तभी हालात सुधरने की उम्मीद करें, सरकार और अधिकारी क्यों अपना काम नहीं करना नहीं चाहते?
अदालत ने कहा कि अगर सरकार और अधिकारी अपना काम नहीं कर रहे हैं और प्रदूषण को कम करने के गंभीर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं तो फिर कोर्ट को उन लोगों (अधिकारियों) पर एक्शन लेने पर मजबूर होना पड़ेगा जो काम नही कर रहे हैं. क्या कोर्ट उनको जेल भेजने का काम करे, तभी काम होगा?
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि दिल्ली की हरियाली बचाने और फारेस्ट एरिया से अतिक्रमण और अवैध निर्माण रोकने के लिए सरकार क्या कर रही है? कोर्ट ने कहा कि आप लोगों को समस्या का कोई हल तो निकालना ही पड़ेगा.
बाहर से आने वाली गाड़ियां कर रही हैं सबसे ज्यादा प्रदूषण: सरकार
इस मामले मे कोर्ट द्वारा नियुक्त वकील ने बताया कि हर साल सांस की बीमारी से 10 हजार 650 लोग दिल्ली मे अपनी जान गंवा रहे हैं, जिसमें बड़ी संख्या बच्चों और बुजुर्गों की है. पेड़ों को काटकर बिल्डर्स लगातार
बेतहाशा निर्माण किये जा रहे हैं. जिससे पर्यावरण को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. जंगलों को काटकर ग्रीन बेल्ट को खत्म की जा रही है और फिर उसी जंगल पर निर्माण से निकलने वाली डस्ट से प्रदूषण बढ़ रहा है.
दिल्ली सरकार ने कहा कि प्रदूषण का दिल्ली मे सबसे बड़ा कारण बाहर से आने वाले व्हीकल्स हैं और निर्माण सबसे ज्यादा प्रदूषण हो रहा है.
संजय नगर (ओखला बर्ड सेंक्चुरी का इलाका) को स्थानांतरित करने के हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार ने आदेश दिए. 2006 मे सुप्रीम कोर्ट ने बलवीर नगर इंदिरा नगर और संजय नगर को स्थानांतरित करने के आदेश दिए थे. लेकिन संजय नगर को दूसरी जगह शिफ्ट करने के सुप्रीम कोर्ट के 10 साल होने के बाद भी अभी तक वहां के 40 हजार लोगों को दिल्ली सरकार रिलोकेट नहीं कर पाई है. जनवरी मे भी दिल्ली सरकार ने हलफनामा लगाया था कि वो संजय नगर को खाली कराने की कोशिश कर रही है.
दिल्ली सरकार को हाई कोर्ट ने हलफनामा देने को कहा कि वो बताए कि संजय नगर कॉलोनी को कब तक खाली कराया जा सकता है.