एनबीसीसी के 6 बड़े प्रोजेक्ट पर लगे स्टे को दिल्ली हाईकोर्ट ने हटा दिया है. एनबीसीसी के लिए ये बड़ी राहत है क्योंकि तकरीबन 4 महीने से उसके आधा दर्जन से ऊपर बड़े प्रोजेक्ट पर स्टे लगने से निर्माण कार्य पूरी तरह से रुक गया था, हालांकि नौरोजी नगर के प्रोजेक्ट पर स्टे बरकरार रहेगा.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि एनबीसीसी के सरोजिनी नगर, किदवई नगर, समेत 6 बड़े प्रोजेक्ट पर कंस्ट्रक्शन का काम दोबारा से शुरू कर सकता है अगर पर्यावरण मंत्रालय, दिल्ली ट्री ऑथोरिटी और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट इस प्रोजेक्ट पर निर्माण के काम को शुरू करने की इजाज़त देते हैं. यानी एनबीसीसी को अपने आधा दर्जन प्रोजेक्ट पर दोबारा से कंस्ट्रक्शन का काम शुरू करने के लिए एनवायरमेंट क्लीयरेंस अलग-अलग विभागों से लेनी होगी.
कोर्ट ने अपने लगाए स्टे को तो हटा दिया है लेकिन अभी भी केंद्र और दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों से एनवायरमेंट क्लीयरेंस लेना एनबीसीसी के लिए आसान काम नहीं होगा. दिल्ली हाईकोर्ट ने इन प्रोजेक्ट्स पर जून में उस वक़्त स्टे के लिए लगा दिया था जब इन प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए यहां लगे 16.5 हज़ार पेड़ों को एनबीसीसी द्वारा काटा जा रहा था.
पर्यावरण के लिए काम करने वाले कुछ सामाजिक कार्यकर्ता और एनजीओ ने इसके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका लगाई थी जिसके बाद एनजीटी और हाईकोर्ट दोनों ने ही एनबीसीसी के प्रोजेक्ट पर स्टे लगा दिया था. दिल्ली सरकार ने भी अलग-अलग विभागों द्वारा दी गई एनओसी को रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट ने भी माना था कि री डेवलपमेंट के नाम पर दिल्ली की हरियाली को नहीं उजाड़ा जा सकता.
इस मामले में अब एनबीसीसी जब अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों से एनवायरमेंट क्लीयरेंस लेगा तो इतना तो तय है कि 16.5 हजार पेड़ों को काटने के उसके पुराने फैसले पर उसे खुद दोबारा विचार करना होगा. क्योंकि इन प्रोजेक्ट्स पर अब तक तक निर्माण संभव नहीं होगा जब तक के पेड़ों को कम से कम काटने की कोई नई रूपरेखा एनबीसीसी के पास हो. इसमें कोई शक नहीं कि पिछले कई महीने से एनबीसीसी के प्रोजेक्ट पर स्टे लगने के बाद कंपनी को आर्थिक घाटा भी हुआ है.