सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के ‘धड़ल्ले से हो रहे उल्लंघन’ पर चिंता जाहिर करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने AAP सरकार से विज्ञापनों पर हो रहे खर्च का ब्योरा मांगा है.
कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का कथित महिमामंडन करने वाले विज्ञापनों पर अब तक के खर्च का ब्योरा मांगा है.
मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने सरकारी विज्ञापनों से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद दिल्ली सरकार की ओर से राष्ट्रीय राजधानी के अलावा अन्य राज्यों में जारी किए गए विज्ञापनों पर हुए खर्च का भी ब्योरा मांगा. शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि करदाताओं के धन को राजनीतिक नेताओं की छवि चमकाने पर खर्च नहीं किया जा सकता.
अदालत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह 3 अगस्त 2015 तक अपना जवाब दाखिल करे. पीठ ने सरकार से कहा कि वह 13 मई 2015 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सरकार की ओर से जारी विज्ञापनों के स्रोत और उस पर खर्च की गई धनराशि का ब्योरा दे.
अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार की गतिविधि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है. पीठ ने कहा कि शीर्ष कोर्ट का फैसला हर किसी पर बाध्यकारी है.
अदालत ने दिल्ली सरकार से यह भी पूछा कि वह चेन्नई, मुंबई जैसे शहरों में पैसे कैसे खर्च कर रही है. पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील रमण दुग्गल से यह भी जानना चाहा कि विज्ञापनों पर खर्च किए जा रहे पैसे पार्टी कोष से या जनता के धन से खर्च किए जा रहे हैं.
इस पर दुग्गल ने कहा कि विज्ञापनों पर पार्टी कोष से पैसे खर्च किए जा रहे हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर अदालत ने यह आदेश दिया.