दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में एक 60 साल की महिला के साथ रेप और उसकी हत्या के आरोप में एक व्यक्ति को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को माफ कर दी.
जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ के फैसले के बाद निचली अदालत का आदेश निरस्त हो गया. निचली अदालत ने महिला से नशे की हालत में कथित तौर पर रेप करने के जुर्म में अच्छे लाल को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इस महिला की बाद में मौत हो गई थी. कोर्ट ने कहा, ‘बिना किसी संदेह के पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साबित होता है कि महिला ने भी सेक्स से पहले शराब पी रखी थी.’ उन्होंने कहा, ‘अगर अच्छे लाल को रेप के अपराध में दोषी भी ठहरा दिया जाता है तो उसे हत्या का दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि उसका न तो ऐसा इरादा था ना ही इसका पता था कि सेक्स से महिला की मौत हो जाएगी. इसलिए, उसे आईपीसी की धारा 302 के तहत दंडनीय अपराध से बरी किया जाता है.’
कोर्ट ने अच्छे लाल की अपील मंजूर करते हुए उसे रेप के आरोपों से भी बरी करते हुए कहा, ‘आईपीसी की धारा 376 (रेप) के तहत दंडनीय अपराध के मद्देनजर महिला की उम्र 60 साल से अधिक थी इसलिए यह उम्र मेनोपॉज से अधिक थी.’ अदालत ने कहा, ‘हम याचिकाकर्ता (अच्छे लाल) के वकील की इस दलील से भी सहमत हैं कि अगर जबरदस्ती सेक्स हुआ तो भी यह बलपूर्वक नहीं थी और महिला की इसमें रजामंदी थी.’ पीठ ने कहा, ‘इसलिए हमारी राय में यह संदेह के परे साबित नहीं होता है कि याचिकाकर्ता ने महिला की इच्छा के विरूद्ध या उनकी सहमति के बिना उनके साथ सेक्स किया.’
निचली अदालत ने 2011 में अच्छे को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और उस पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. अदालत ने कहा था, ‘उन्होंने अपनी से बहुत बड़ी उस महिला के साथ जबरदस्ती सेक्स किया जिसे वह अपनी मां कहता था.’ अभियोजन के मुताबिक, महिला उत्तरी दिल्ली के मजनूं का टीला क्षेत्र के घरों में घरेलू सहायिका के तौर पर काम करती थी. दिसंबर 2010 में उसके घर पर उसकी डेड बॉडी मिली थी. उसकी लाश के बगल में व्हिस्की की एक बोतल पड़ी हुई थी.
पुलिस के मुताबिक, लाश को पहली बार देखने वाले अभियोजन के एक गवाह ने कोर्ट से कहा कि अच्छे लाल शराब के नशे में था, जब वह महिला के घर के बाहर खड़ा था.