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ऑक्सिटोसिन की खरीद-बिक्री और मैन्युफैक्चरिंग पर दिल्ली हाइकोर्ट की रोक

दिल्ली हाईकोर्ट ने विवादित दवा ऑक्सिटोसिन की बिक्री और मैन्युफैक्चरिंग पर 1 अक्टूबर तक के लिए स्टे लगा दिया है.

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दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट

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विवादित दवा ऑक्सिटोसिन को बेचने-खरीदने और उसकी मैन्यूफैक्चरिंग पर तो पहले ही केंद्र सरकार ने बैन लगा रखा है. लेकिन शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में भी ऑक्सिटोसिन की बिक्री और मैन्युफैक्चरिंग पर 1 अक्टूबर तक के लिए स्टे लगा दिया है. केंद्र सरकार के बैन को लेकर जारी किए गए नोटिफिकेशन को ऑक्सिटोसिन दवा को बनाने वाली कुछ कंपनियों और इंडिया ड्रग्स एक्शन नेटवर्क ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था. साथ ही कोर्ट से सरकार की तरफ से लगाए गए बैन को हटाने की गुहार की थी.

सार्क देशों में तकरीबन 112 कंपनियां ऐसी हैं जो ऑक्सिटोसिन दवा बनाती हैं. इसी साल 27 अप्रैल को इसकी बिक्री पर केंद्र सरकार ने पूरी तरह से बैन लगा दिया था. अगले ही महीने ऑक्सिटोसिन की मैन्युफैक्चरिंग पर भी केंद्र सरकार ने बैन लगा दिया जिसके बाद ऑक्सिटोसिन दवाई बनाने वाली कंपनियां कोर्ट पहुंच गई थीं.

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ऑक्सिटोसिन के निर्माण और बिक्री पर रोक लगाने के पीछे मुख्य वजह इस दवा का दुरुपयोग था. सरकार को इससे जुड़ी तमाम शिकायतें मिलीं जिसमें कहा गया कि देह व्यापार में धकेली गई कम उम्र की लड़कियों को उम्र से पहले वयस्क करने के लिए ऑक्सिटोसिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं. इसके अलावा दूसरी बड़ी शिकायत थी कि अक्सर डेयरी चलाने वाले लोग गाय-भैंस से ज्यादा दूध लेने के लिए भी इस इंजेक्शन का धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं.

हलांकि, ऑक्सिटोसिन का इस्तेमाल डॉक्टर उस वक्त करते हैं जब गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी कराने के लिए उनके दर्द को कम करना जरूरी होता है. लेकिन अक्सर देखा गया कि दवा बनाने वाली कंपनियों ने इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए नियमों और शर्तों का पालन नहीं किया. इसे बेचने वाली दुकानों पर भी बिना डॉक्टर की सलाह के ये दवा बिकती रहीं, इसलिए सरकार को यह फैसला करना पड़ा.

क्या ऑक्सिटोसिन की मैन्युफैक्चरिंग सरकार खुद करेगी? फिलहाल सरकार के निर्देश पर कर्नाटका एंटीबायोटिक्स प्राइवेट लिमिटेड ही सिर्फ ऑक्सिटोसिन का मैनुफैक्चरिंग कर रही है. फिलहाल कोर्ट में इस मामले में अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी और उसमें केंद्र सरकार को कोर्ट को यह बताना होगा कि ऑक्सीटोसिन दवा बनाने वाली 112 कंपनियों पर एक साथ में लगाना कितना सही फैसला है.

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