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दिल्ली में स्नैचिंग की बढ़ती घटनाओं पर HC का पुलिस को नोटिस

हाईकोर्ट में लगाई गई पीआईएल में कहा गया है कि स्नैचिंग के लिए दिल्ली में सख्त कानून नहीं होने के कारण अपराधी आजाद घूम रहें है. कानून के लचर होने की वजह से पकड़े गए अपराधी आसानी से छूट जाते हैं, लिहाजा स्नैचिंग पर सख्त नियम होने चाहिए.

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दिल्ली में बढ़ रही स्नैचिंग की घटनाएं
दिल्ली में बढ़ रही स्नैचिंग की घटनाएं

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दिल्ली में स्नैचिंग की बढ़ती घटनाओं और कानून के कमजोर होने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस और सिविक एजेंसियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

हाईकोर्ट में लगाई गई पीआईएल में कहा गया है कि स्नैचिंंग के लिए दिल्ली में सख्त कानून नहीं होने के कारण अपराधी आजाद घूम रहें है. कानून के लचर होने की वजह से पकड़े गए अपराधी आसानी से छूट जाते हैं, लिहाजा स्नैचिंग पर सख्त नियम होने चाहिए.

दिल्ली हाइकोर्ट ने मामले को बेहद गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने पुलिस से पूछा है कि स्नैचिंग को संगठित अपराध की श्रेणी में क्यों नहीं रखा जाता है क्या दिल्ली पुलिस निर्भया जैसी किसी वारदात का इंतजार कर रही है, क्या किसी बड़ी वारदात के होने पर ही बदलाव करने को पुलिस सोचेगी. कोर्ट ने कहा है कि पुलिस दस दिन में यह बताए कि दिल्ली में स्नैचिंग पर हरियाणा और महाराष्ट्र की तरह सख्त कानून क्यों नहीं हो सकता है.

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यह याचिका वकील प्रशांत मनचंदा ने दायर की है जिसमें उनका दावा है कि राजधानी में लगातार स्नैचिंग की वारदातों में इजाफा हो रहा है. पिछले पांच सालों में स्नैचिंग की वारदातों में चार सौ गुना बढोत्तरी हुई है यहां तक कि विदेशी महिलाओं के साथ भी स्नैचिंग की घटनाएं बढ़ रहीं है. कई केस में महिलाओं के साथ शारिरिक शोषण और उनकी हत्या तक की कोशिश की गई है.

पुलिस स्नैचिंग की वारदातों में आईपीसी की धारा 356 यानि बलप्रयोग कर अपराधिक वारदात को अंजाम देना और 379 यानि कि चोरी में दर्ज करती है जिसमें केवल तीन साल तक की सजा का प्रावधान है. जबकि हरियाणा और महाराष्ट्र में स्नैचिंग पर कड़े नियम लागू हैं. इन राज्यों में इस तरह का अपराध धारा 356ए और 379ए के अंतर्गत आता है जिसमें 14 साल तक की सजा का प्रावधान है. याचिका में मांग की गई है कि स्नैचिंग को धारा 392 लूटपाट और अन्य गंभीर धाराओं में दर्ज करना चाहिए. 

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