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हाईकोर्ट का आदेश, स्टाफ को 25 फीसदी वेतन तुरंत दे DCW

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली महिला आयोग के स्टाफ को 25 फीसदी वेतन तुरंत देने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि स्टाफ की वैध या अवैध नियुक्ति अलग विषय है. लेकिन अगर वे नौकरी पर हैं और अब तक काम कर रहे है तो उन्हें काम का पैसा मिलना ही चाहिए.

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हाई कोर्ट
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दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली महिला आयोग के स्टाफ को 25 फीसदी वेतन तुरंत देने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि स्टाफ की वैध या अवैध नियुक्ति अलग विषय है. लेकिन अगर वे नौकरी पर हैं और अब तक काम कर रहे है तो उन्हें काम का पैसा मिलना ही चाहिए. स्वाति मालीवाल की तरफ से आज कोर्ट को बताया गया कि महिला आयोग के स्टाफ में किसी की शादी है. किसी के पिता अस्पताल में है. किसी को बच्चे की फीस भरनी है. सैलरी न मिलने की वजह से वे आगे अपने काम को नही करवा पा रहे हैं.
इसके अलावा स्वाति मालीवाल कोर्ट को बताती हैं कि आयोग ने तय नियमों का पालन करते हुए एसिड पीड़ितों सहित कई अन्य पीड़ितों की नियुक्ति की है. ये लोग रेप पीड़ित सेल, पुनर्वास सेल, महिला पंचायत, मोबाइल हेल्प लाइन इत्यादि सेल में काम कर रहे हैं. यदि इन्हें हटाया गया तो आयोग का काम ही ठप पड़ जाएगा.

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पिछले साल ही रोक दिया गया वेतन
दिल्ली महिला आयोग के स्टाफ का वेतन पिछले साल रोक दिया गया था. क्योंकि कर्मचारियों की नियुक्ति में अनियिमितताएं पाई गईं. वहीं नियुक्ति से पहले एलजी की मंजूरी नही लिए जाने की भी बात कही गई. सैलरी रोकने के फैसले के खिलाफ दिल्ली महिला आयोग हाईकोर्ट आ गया. जिसके बाद 50 फीसदी तनख्वाह देने का आदेश कोर्ट ने दिसबर में दिया था. हाई कोर्ट ने कहा कि यदि कर्मचारियों की नियुक्ति में अनियिमितताएं बरती गई हैं और नियुक्तियां गैरकानूनी हैं तो उसे रद्द किया जाए. न कि कर्मचारियों के वेतन को रोका जाए.

हाई कोर्ट ने 22 दिसंबर के अपने आदेश में आयोग को इन सभी 62 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से दो माह का वेतन देने का निर्देश दिया था. हाई कोर्ट ने चार माह के वेतन की 50 प्रतिशत राशि देने का निर्देश जारी कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि इस तरह मात्र दो माह का ही वेतन बनता है. कोर्ट ने आयोग को दो दिनों में यह वेतन जारी करने का निर्देश दिया है.

अदालत ने कहा कि कर्मचारी लंबे अरसे से काम कर रहे हैं. अब तक उन्हें वेतन भी दिया जा रहा था और अब अचानक उनका वेतन कैसे रोका जा सकता है. कोर्ट के पूछने पर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि सरकार का मानना है कि इस तरह वेतन नहीं रोका जाना चाहिए. कुछ शर्तों के साथ वेतन जारी किया जाए. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को सितंबर से अब तक वेतन नहीं मिला. उन्होंने कहा यह कोई करोड़ों का मामला नहीं है. ऐसे में कर्मचारियों को सितंबर से दिसंबर माह यानि चार माह का वेतन दे दिया जाना चाहिए. कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 31 मार्च को करेगा.

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