हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि दोनों सरकारें स्वच्छ पर्यावरण बनाने कोशिश नहीं कर रही हैं. प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सरकारों की गंभीरता का पता इसी से लगता है कि अब तक किसी अधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई.
हाईकोर्ट ने कहा, 'अगर आप स्वच्छ पर्यावरण के लिए कदम नहीं उठाएंगे तो हम अवमामनना की कार्रवाई करेंगे. इस तरीके से अगर सरकारों और अधिकारियों का रवैया रहा तो पूरा सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा.'
दिल्ली सरकार बोली- सुनते नहीं अधिकारी
कोर्ट की फटकार पर जवाब देते हुए दिल्ली सरकार ने कहा कि अधिकारी उनकी बात सुनते ही नहीं. इस पर कोर्ट ने फिर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, 'जो नहीं सुनते उन्हें निकालिए.' इसके जवाब में सरकार ने कहा कि प्रक्रिया चल रही है.
दिल्ली सरकार ने कहा, 'अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते. हाल ही के दिनों में हुए अधिकारियों के विवाद को लेकर पूरे सिस्टम को लकवा मार गया है. कुछ ऐसी चीजें हैं जो हमारे काबू के बाहर हैं. हम स्वच्छ पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध हैं.'
केंद्र सरकार को भी पड़ी फटकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि 21 दिसंबर को कोर्ट के आदेश के बाद क्या प्रदूषण पर काबू पाने के लिए पड़ोसी राज्यों और संबधित एजेंसियों की बैठक बुलाई गई? हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के वकीलों से कहा कि आप लोग अपने मंत्री की भी नहीं सुनते क्योंकि अप्रैल 2015 में पर्यावरण मंत्रालय ने प्रदूषण के मास्टर प्लान के लिए बैठक बुलाई थी. प्लान बनाने को कहा गया लेकिन बना क्यों नहीं.