दिल्ली हाइकोर्ट ने डीडीए की जमीन पर बने प्राइवेट स्कूलों का ब्यौरा न दिए जाने पर डीडीए को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने इस मामले मे डीडीए के डायरेक्टर को भी नोटिस भेजकर खुद कोर्ट मे पेश होने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने ऐसे निर्देश दिए हैं कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों ईडब्ल्यूइस की एक भी सीट खाली न रहे.
दिल्ली हाईकोर्ट डीडीए लैंड पर बने प्राइवेट स्कूलों मे नर्सरी एडमिशन से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है. कोर्ट ने इस मामले मे मंगलवार को डीडीए को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अब तक डीडीए वो रिकॉर्ड क्यों नही दे रहा है जिससे पता चले कि दिल्ली में प्राइवेट स्कूल को खोलने के लिए कहां और कब जमीन दी गई. याचिकाकर्ता ने शिकायत की थी कि डीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत से डीडीए ने प्राइवेट स्कूल खोलने के लिए दी गई जगहों पर घर बना दिए हैं. उनका व्यवसायिक इस्तेमाल चल रहा है.
हाइकोर्ट ने इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए डीडीए से सारे रिकॉर्ड कोर्ट मे पेश करने के आदेश दिए थे, लेकिन कई सुनवाइयों के बाद भी जब डीडीए के वकील और अधिकारियों ने ये रिकॉर्ड पेश नहीं किए तो नाराज कोर्ट ने इस मामले मे डीडीए के डायरेक्टर को ही तलब कर लिया है.
इसके साथ ही हाइकोर्ट ने दिल्ली सरकार को ये बातें सुनिशित करने के निर्देश दिए हैं कि प्राइवेट स्कूलों मे कोई भी ईडब्लूएस की सीट खाली न रहने पाए. कोर्ट को पिछले सालों में अक्सर इस तरह की शिकायतें मिली है कि स्कूलों से जानकारी के अभाव मे ईडब्लूएस के बच्चों को एडमिशन नहीं मिल पाता और इसका फायदा उठाते हुए प्राइवेट स्कूल भारी डोनेशन लेकर जनरल केटेगरी के बच्चों को एडमिशन दे देते हैं.