निर्भया केस के बाद महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस और सरकार को कड़ी फटकार लगाई.
कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार बदल गई लेकिन हालात नहीं बदले. दिल्ली पुलिस ने एक रिपोर्ट कोर्ट में पेश की. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों में महिलाओं पर हो रहे अपराध में करीब 64 फीसदी अपराधी जिला अदालतों से बरी हो गए. जबकि 85 फीसदी मामलों में अपराधी हाई कोर्ट से बरी हो गए.
दिल्ली पुलिस को आम आदमी की सुध नहीं
दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए अदालत ने कहा कि पुलिस केवल VIP की सुरक्षा में लगी है. आम लोगों की सुरक्षा भगवान भरोसे हैं. अदालत ने अपने बयान में कहा कि लोगों की हत्या हो रही है, लगातार बलात्कार की घटनाएं सामने आ रही हैं. दिनदहाड़े अपहरण हो रहा है और अपराधी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. ऐसे हालात में सभी पुलिसवालों को छुट्टी दे देनी चाहिए. क्योंकि जब 85 फीसदी अपराधी बरी हो ही जाते हैं तो फिर पुलिस की क्या जरूरत है. इसके बाद तो केवल पुलिस कमिश्नर ही पूरी दिल्ली के लिए काफी हैं.
85 फीसदी तक अपराधी हो जाते हैं बरी
दरअसल हाई कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध केस और उनमें होने वाले फैसले को लेकर अपनी रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट के मुताबिक 2011 से 2015 तक जिला अदालतों में 64 फीसदी मामलों में अपराधी बरी हो गए और 85 फीसदी मामलों में अपराधी हाई कोर्ट से बरी हो गए. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2001 से 2005 तक 14,997 केसों का निपटारा हुआ जिसमें से 9,256 अपराधी बरी हो गए, जबकि 5,741 को सजा मिली.
केंद्र को भी कोर्ट ने लगाई फटकार
हाई कोर्ट ने कहा कि इन आकड़ों के बाद भी केंद्र सरकार को नहीं लगता कि दिल्ली में पुलिस संख्या को बढ़ाने और नई तकनीक को लाने की जरूरत है. अपराध बढ़ रहा है और अपराधी भी बढ़ रहे हैं, लेकिन पुलिस नहीं बढ़ रही है. पुलिस ने कहा कि इनमें कई मामले फर्जी और गलत भी होते हैं. कोर्ट ने पूछा कि फिर उन मामलों में पुलिस चार्जशीट क्यों फाइल करती है, ऐसे मामलों को शुरुआत में ही बंद कर देना चाहिए.
दिल्ली पुलिस गिनाईं अपनी मजबूरियां
कोर्ट ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों के बरी होने का मतलब साफ है या तो पुलिस ने जांच ठीक से नहीं की या कोर्ट में वकालत करने वाला वकील ठीक नहीं मिला. दिल्ली पुलिस ने बताया कि फॉरेंसिक रिपोर्ट में भी 8500 मामले पेन्डिंग हैं और रिपोर्ट आने में 3-4 साल तक का वक्त भी लग जाता है. एक्सपर्ट ने भी कोर्ट को बताया कि पिछले 25 सालों में कोई नई तकनीक नहीं आई है. FSL रिपोर्ट को लेकर जिस नई तकनीक की जरूरत है वो नहीं होने से पुलिस जांच सही से नहीं कर पाती है.
कोर्ट ने व्यवस्था जल्द दुरुस्त करने का दिया आदेश
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सिर्फ रिपोर्ट ठीक नहीं आने या फिर बहुत देर से आने के वजह से किसी बेकसूर को सालों जेल मे रहना पड़ता है या फिर अपराधी छूट जाता है. सरकार ही जब लोगों के लिए गंभीर नहीं है तो फिर ऐसे हालात में क्या कोर्ट को भी हाथ खड़े कर देने चाहिए. कोर्ट ने आदेश दिया कि अपराध केस के दुरुस्त जांच की अलग व्यवस्था हो और पुलिस फोर्स दिल्ली में बढ़ाई जाए. इसके अलाावा कोर्ट ने 2 हफ्ते में दिल्ली सरकार और केंद्र को जवाब देने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगली तारीख पर पिछले 5 साल की फोरेंसिक रिपोर्ट की कॉपी पेश की जाए ताकि उसकी समीक्षा की जा सके.