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दिल्ली को कचरा मुक्त बनाने को लेकर हाईकोर्ट ने लगाई एजेंसियों को फटकार

मानसून के दौरान दिल्ली में फैले कूड़े और उसके कारण डेगू चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के पनपने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट सख्त है. दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए तीनों सीविक एजेंसियों को जम कर फटकार लगाई है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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मानसून के दौरान दिल्ली में फैले कूड़े और उसके कारण डेगू चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के पनपने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट सख्त है. दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए तीनों सीविक एजेंसियों को जम कर फटकार लगाई है. हालांकि कोर्ट ने दिल्ली को गार्बेज फ्री बनाने के लिए सफाई को तीन वर्गों में बाट दिया है. इसके अलावा दिल्ली में सफाई की हर सप्ताह मॉनिटरिंग भी दिल्ली हाईकोर्ट करेगा.

हाइकोर्ट ने इसके साथ ही 50 साल के लिए सफाई पर एक्शन प्लान बनाने का भी दिल्ली सरकार और सिविक एजेंसियों को निर्देश दिया है. पिछले साल मानसून से चिकनगुनिया और डेंगू से दिल्ली में कई लोगों को मौत हो गई थी. लेकिन, इस बार मानसून से पहले ही दिल्ली में साफ-सफाई को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट सख्त है. अप्रैल के महीने से ही दिल्ली हाईकोर्ट की इस पर नज़र है कि सरकार और एजेंसिया क्या कर रही हैं.

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कोर्ट ने तीनों एमसीडी को फटकार लगाते हुए पूछा कि कब तक देश की राजधानी गार्बेज फ्री बन पाएगी. हालांकि कोर्ट ने बाद में खुद ही राजधानी को कचरा फ्री बनाने के लिए सफाई को तीन वर्गों में बांट दिया है. साथ ही खुद हाईकोर्ट इसे रेगुलर मॉनिटर करेगी. सफाई को लेकर हाईकोर्ट ने कहा कि सभी सिविक एजेंसिया इलाके में सफाई कर्मचारियों की डिटेल वेबसाइट पर दें और वो भी फोटो के साथ, ताकि अगर किसी इलाके में सफाई नहीं होती है तो लोग खुद ही कर्मचारियों से संपर्क कर लें. कर्मचारियों के अलावा वेबसाइट इलाके के सुपरवाइजर का भी डिटेल डाला जाए.

सफाई को लेकर और साथ ही वहीं दिल्ली को अगले 50 सालों तक गार्बेज फ्री बनाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक्शन प्लान बनाने का निर्देश दिया है. साथ ही गार्बेज फ्री बनाने के लिए के इस एक्शन प्लान में मशहूर पर्यावरणविद सुनीता नरायणन समेत एमसी मेहता जैसे पर्यावरणविद से सलाह लेने का निर्देश दिया है.

हालांकि कोर्ट ने एमसीडी कर्मचारियों को लेकर कहा कि तीनों एमसीडी को राजधानी दिल्ली में सफाई करने के लिए गंभीर कदम उठाने की जरूरत है. साथ ही एमसीडी के सफाई कर्मचारी जो काम नहीं करते हैं, उनके खिलाफ कठोर कदम उठाएं. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि राजधानी में सफाई को लेकर किसी भी प्रकार से कोई समझौता नहीं किया जा सकता. मामले की अगली सुनवाई कोर्ट 12 जुलाई को करेगा.

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