दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है. पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते मुद्दे ने चिंताजनक मोड़ ले लिया है. बीते मंगलवार को दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान इस मौसम के उच्चतम स्तर 8% पर पहुंच गया, जो सोमवार को 3.2% था. सर्दियों की शुरुआत के साथ आने वाले दिनों में यह आंकड़ा काफी बढ़ने की उम्मीद है, जिससे वायु गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा हो सकता है. आज बुधवार को पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण में लगभग 15% की वृद्धि होने का अनुमान है, जो गुरुवार को लगभग 21% तक बढ़ जाएगा और शुक्रवार को लगभग 20% पर स्थिर हो जाएगा.
दिल्ली को अभी नहीं मिलेगी प्रदूषण से राहत
प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि का कारण फसल जलाने की घटनाओं में वृद्धि को माना जा सकता है. बीते मंगलवार को 1,483 आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं, जो इस मौसम की सबसे अधिक संख्या है और सोमवार को 544 घटनाओं से बहुत अधिक है. पिछली बार 12 अक्टूबर को 964 घटनाओं के साथ उच्चतम आंकड़ा दर्ज किया गया था. यह परेशान करने वाला रुझान न केवल पंजाब और हरियाणा में कृषि पद्धतियों के कारण बढ़ रहा है, बल्कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे अन्य राज्यों में भी फैल रहा है.
जैसे-जैसे पराली जलाने का असर बढ़ता जा रहा है, यह दिल्ली के स्मॉग में मुख्य योगदानकर्ता के रूप में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को पीछे छोड़ने के लिए तैयार है. 23, 24 और 25 अक्टूबर को परिवहन प्रदूषण का योगदान क्रमशः 13.5%, 14.6% और 15.1% रहने वाला है. वाहनों से होने वाला उत्सर्जन अब तक प्रमुख कारक रहा है, लेकिन फसल अवशेषों में आग लगने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि प्रदूषण स्रोतों की गतिशीलता को बदल रही है.
आने वाले दिनों में दिल्ली में वायु गुणवत्ता में काफी गिरावट आने वाली है. पूर्वानुमानों के अनुसार यह 24 अक्टूबर से 26 अक्टूबर 2024 तक "बहुत खराब" श्रेणी में आ जाएगी. यह चिंताजनक प्रवृत्ति अगले छह दिनों में और खराब होने की उम्मीद है, जिससे वायु गुणवत्ता संभावित रूप से "गंभीर" श्रेणी में पहुंच सकती है. मौसम संबंधी परिस्थितियां प्रदूषकों के फैलाव के लिए अनुकूल नहीं हैं, क्योंकि रात भर शांत हवाएं चलती हैं, जिससे प्रदूषक प्रभावी रूप से जमीन के करीब फंस जाते हैं.
दिल्ली में सतही हवाओं की दिशा में बदलाव हुआ और 23 अक्टूबर को 6 से 12 किलोमीटर प्रति घंटे की गति बनी रही साथ ही सुबह धुंध और दिन में आसमान साफ रहा. वहीं कल 24 अक्टूबर को हवाएं उत्तर-उत्तरपश्चिम और उत्तर से समान गति से आने का अनुमान है. इसके अलावा 25 अक्टूबर तक हवा की दिशा फिर से परिवर्तनशील होगी, जिसकी गति 6 से 14 किलोमीटर प्रति घंटे के बीच होगी. 26 अक्टूबर को हवाएं पूर्व-दक्षिणपूर्व दिशा से चलेंगी, जो धीमी होकर 6 से 8 किलोमीटर प्रति घंटे की गति पर आ जाएंगी, जिससे प्रदूषण के फैलाव में और बाधा आएगी.
वहीं अनुमानित अधिकतम मिश्रण गहराई, जो वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक है, 23 अक्टूबर को 1500 मीटर से घटकर 26 अक्टूबर तक 1250 मीटर हो जाएगी. इस बीच वेंटिलेशन इंडेक्स, जो प्रभावी प्रदूषक फैलाव के लिए आदर्श रूप से 6000 m²/s से अधिक होना चाहिए, 23 अक्टूबर को 7800 m²/s से तेजी से घटकर 26 अक्टूबर तक केवल 3000 m²/s रह जाएगा. यह 10 किमी प्रति घंटे से कम की औसत हवा की गति के साथ मिलकर हवा से प्रदूषकों को साफ करने के लिए प्रतिकूल वातावरण बनाता है.
वायु गुणवत्ता में गिरावट और तत्काल राहत की कोई संभावना न होने के कारण दिल्ली के निवासियों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. खासकर उन लोगों को जो स्वास्थ्य संबंधी कमजोर हैं. खराब वायु गुणवत्ता के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए इस अवधि के दौरान बाहरी गतिविधियों को कम से कम करने का प्रयास किया जाना चाहिए.