देश के सबसे इलिट क्लास संस्थानों में शुमार सेंट स्टीफेंस कॉलेज के इतिहास में पहली बार हिंदी ने जगह बनाई. यह पहली बार है जब स्टीफेंस के कैंपस में हिंदी न सिर्फ जमकर बोली गई, बल्कि हिंदी का बोलबाला भी रहा. यह भी खास है कि यह सब कॉलेज के एक माली के बेटे ने कर दिखाया और सबसे ऐतिहासिक यह कि माली का बेटा यानी रोहित कुमार यादव स्टूडेंट यूनियन का प्रेसिडेंट भी चुना गया.
दरअसल, यह सब इसलिए भी खास है कि इस पद के लिए कभी शशि थरूर ने भी बाजी मारी थी और सलमान खुर्शिद को हार का स्वाद चखना पड़ा था. स्टीफेंस कॉलेज के प्रिंसिपल वाल्सन थाम्पु कहते हैं, 'यह पहली बार है जब एक क्लास 4 स्टाफ के बेटे ने यूनियन प्रेसिडेंट के पद पर जगह बनाई है. यह बतलाता है कि कैसे हमारा समाज बदल रहा है और कैसे युवाओं की सोच बदल रही है.'
रोहित कुमार यादव के पिता हरीश माली पिछले दो दशक से कॉलेज के बगीचों की देखभाल करते हैं. रोहित की जीत को अनायास ही नहीं माना जा सकता, क्योंकि वह अपने निकटम प्रतिद्वंदी से 134 वोट आगे हैं. यूनियन प्रेसिडेंट पद के लिए तीन उम्मीदवार थे, जिनके बीच जब वाद-विवाद प्रतियोगिता हुई तो रोहित ने हिंदी में अपनी बात रखी. रोहित की हिंदी और उनके विचार दोनों ने कॉलेज में बदलाव की हवा को बल दिया और रोहित जीत गए.
गौरतलब है कि एक स्टाफ मेंबर के वार्ड के तौर पर कॉलेज में रोहित का एडमिशन तय था. स्टीफेंस में मैथ्स की प्रोफेसर और दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष नंदिता नारायण कहती हैं, 'स्टाफ के बच्चों को हमेशा से कॉलेज में एडमिशन मिलता रहा है. लेकिन इस बार उनके आत्मविश्वास को देखना और प्रेसिडेंट बनना वाकई जबरदस्त है. बीते कुछ वर्षों से कॉलेज में सभी वर्ग और बैकग्राउंड के बच्चों को एडमिशन दिया जा रहा है और खुशी है कि यह लाभप्रद है.'