तेजाब हमले की पीड़ित 2 नाबालिग लडकियों के इलाज के लिए एक प्राइवेट अस्पताल द्वारा लिए गए 70 हजार रुपये दिल्ली महिला आयोग की दखल के बाद अस्पताल ने वापस लौटा दिए हैं. दिल्ली महिला आयोग के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल अब उनका निशुल्क इलाज करने पर तैयार हो गया और दोनों पीड़िताएं फ़िलहाल अस्पताल में भर्ती हैं.
बता दें कि इन दोनों नाबालिग लड़कियों का भाई 7 मार्च को दिल्ली महिला आयोग आया और बताया कि इस साल 19 फरवरी को नशे में धुत एक शख्स ने खिड़की से उसकी बहनों को देख रहा था. उन्होंने इसकी शिकायत अपने पिता से की, तो पिता ने उस आदमी को डांट लगाई. शराबी आदमी गुस्से में निकल गया और जहां वह काम करता था वहां से तेजाब लेकर आया और घर के बाहर दरवाजे पर खड़ी दोनों बहनों पर फेंक दिया.
इस हमले में दोनों बहने करीब 20 प्रतिशत जल गईं और उसके पिता पर भी तेजाब के छीटें पड़ गए. उनको इलाज के लिए पास के एक प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां दोनों की सर्जरी पर 70 हज़ार रुपये का खर्च बताया गया. आर्थिक रूप से कमजोर इस परिवार को कीमती सामान गिरवी रख कर अस्पताल में 70 हज़ार रुपये जमा करवाने पड़े.
फिर किसी ने इस परिवार को बताया कि एसिड अटैक विक्टिम्स का इलाज नि:शुल्क होता है और इसके लिए उन्हें दिल्ली महिला आयोग की मदद लेनी चाहिए. इन पीड़िताओं के भाई ने फिर आयोग में अस्पताल की इस धोखाधड़ी की शिकयत की. इस पर दिल्ली महिला आयोग की सदस्य फरहीन मालिक ने संज्ञान लेते हुए अस्पताल के प्रशासनिक विभाग से बात की और उन्हें उच्चतम न्यायालय के आदेश के बारे में बताया.
दिल्ली महिला आयोग के इस दखल के बाद अस्पताल ने परिवार से लिए 70 हज़ार रुपये लौटा दिए और दोनों नाबालिग लड़कियों का आगे का नि:शुल्क इलाज कर रहा है. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने साथ ही कहा, 'अगर किसी भी एसिड अटैक विक्टिम को इलाज करवाने या कानूनी सहायता आदि लेने में किसी भी तरह की मदद चाहिए, तो वे दिल्ली महिला आयोग से कभी भी संपर्क कर सकते हैं. दिल्ली महिला आयोग उनकी हर संभव मदद करेगा.'