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Exit Poll ने दिल्ली में बीजेपी के लिए बजाई खतरे की घंटी, कैसे भारी पड़ी AAP?

दिल्ली MCD चुनावों के लेकर सभी सर्वे एजेंसियों ने एग्जिट पोल जारी कर दिए हैं. आजतक एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक MCD में AAP को 149-171, भाजपा को 69-91 सीटें मिलने का अनुमान है. बता दें कि भाजपा पिछले 15 सालों से MCD पर काबिज है.

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MCD चुनावों के एग्जिट पोल में भाजपा को हार
MCD चुनावों के एग्जिट पोल में भाजपा को हार

दिल्ली में नगर निगम (MCD) एग्जिट पोल के नतीजे भाजपा के लिए बुरी खबर लेकर आ रहे हैं. चुनावों के बाद और नतीजों से पहले सभी सर्वे एजेंसियों ने एग्जिट पोल जारी कर दिए हैं. इन एग्जिट पोल में भारतीय जनता पार्टी को झटका और आम आदमी पार्टी की जीत साफ दिखाई दे रही है. एमसीडी पर 15 साल से काबिज बीजेपी के लिए ये एग्जिट पोल के नतीजे चौंकाने वाले हैं.  

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आजतक एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक MCD की 250 सीटों में AAP को 149-171, भाजपा को 69-91, कांग्रेस को 3-7 तो अन्य को 5-9 सीटें मिलने का अनुमान है. जबकि 2017 चुनाव में 270 सीटों में से बीजेपी को 183, कांग्रेस को 36 और आप को 41 सीटें मिली थीं. 

विधानसभा के बाद अब MCD में भी चली झाड़ू

दिल्ली में 2015 और 2020 विधानसभा चुनाव में झाड़ू का जादू दिखा चुके केजरीवाल इस बार MCD से भी बीजेपी को बाहर का रास्ता दिखाते नजर आ रहे हैं. दिल्ली में अब तक 3 बार आम आदमी पार्टी सरकार बना चुकी है. साल 2013 में केजरीवाल 49 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद साल 2015 में केजरीवाल दिल्ली की 70 में से 67 विधानसभा सीट जीतने का रिकॉर्ड बनाकर मुख्यमंत्री बने और एक बार फिर 2015 जैसी ही जीत उन्होंने 2020 में भी हासिल की. 2020 में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीतीं. ऐसे में धीरे-धीरे भाजपा पिछड़ती गई.  

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पीएम मोदी के चेहरे पर नहीं जीता जा सकता हर चुनाव

माना जा रहा है कि दिल्ली में बीजेपी के पास अरविंद केजरीवाल के कद का कोई चेहरा नहीं है, जिसके नाम पर पार्टी चुनाव लड़ सके. पार्टी को यह समझने की जरूरत है कि पीएम मोदी के चेहरे पर भीड़ तो इकट्ठा की जा सकती है, लेकिन हर बार चुनाव नहीं जीता जा सकता. एग्जिट पोल के नतीजों से एक बात जाहिर होती है कि दिल्ली की जनता जानती है कि ना तो पीएम मोदी विधानसभा चुनावों में जीतकर उनका नेतृत्व करने वाले हैं और ना ही MCD में पीएम मोदी के चेहरे पर वोट देने से कोई फायदा होने वाला है. यही वजह है कि जब 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, तो दिल्ली की जनता ने मोदी को चेहरा मानते हुए 7 में से 7 सीटें दिला दीं. लेकिन जब विधानसभा चुनाव की बात आई, तो इसी जनता ने आम आदमी पार्टी को दिल खोल कर वोट किया और 2015 में 67 और 2020 में 62 सीटें दिलाईं. 

बीजेपी को तलाशने होंगे नए नेता 

राजनीति के जानकारों का कहना है कि बीजेपी को दिल्ली में नए नेता की तलाश करनी होगी. क्योंकि विजय मल्होत्रा, विजय गोयल, हर्षवर्धन के बाद भारतीय जनता पार्टी में कोई नया नेतृत्व नहीं उभरा. पार्टी के पास गौतम गंभीर और मनोज तिवारी जैसे नामी नेता तो हैं लेकिन उनका फायदा पार्टी को मिल नहीं पा रहा है. मनोज तिवारी भले ही अपना गढ़ बचाने में कामयाब रहे लेकिन पूरी दिल्ली में उनका फायदा पार्टी को नहीं मिल पाया. भाजपा में नेतृत्व की ही बात की जाए तो फिलहाल पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता हैं. लेकिन दिल्ली के किसी भी वॉर्ड में उनका खुद का जनाधार नहीं माना जाता है. 

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हंसराज हंस, गौतम गंभीर जैसे सांसद लोकसभा का चुनाव भले ही जीत गए हों, लेकिन आम जनता से उनकी कनेक्टिविटी आज भी बड़ा सवाल है. लोग इन्हें जनसेवक से ज्यादा सेलिब्रेटी के तौर पर ही पहचानते हैं.

बीजेपी को मुद्दों पर घेरने में सफल रही AAP

वहीं अगर आम आदमी पार्टी की चुनावी कैंपेनिंग पर नजर डाली जाए तो वो काफी हद तक कारगर साबित हुई. आप ने इन चुनावों में विकास के वादोंं के साथ साथ दिल्ली में केजरीवाल सरकार के काम पर वोट भी वोट मांगा. जब जरूरत पड़ी तो कई मुद्दों पर भाजपा को घेरा भी. आम आदमी पार्टी ने गंदगी के मुद्दे पर भाजपा को घेरा. कूढ़े के ढेर को भी मुद्दा बनाया. इन मुद्दों पर भाजपा बैकफुट पर रही. वहीं, बीजेपी चुनाव प्रचार के दौरान 15 साल की अपनी उपलब्धि गिनाने के बजाय केजरीवाल पर निशाना साधती रही और पीएम मोदी के कामों के नाम पर वोट मांगती रही. भाजपा ने छठ के त्योहार पर यमुना में गंदगी का मुद्दा पकड़ा था, लेकिन वह मुद्दा भी थोड़े समय में शांत हो गया. ऐसे में आम आदमी पार्टी जनता को यह बताने में सफल रही कि भाजपा ने पिछले 15 सालों में कुछ नहीं किया. 

सत्येंद्र जैन के वीडियो नहीं आए काम

माना जा रहा है कि नगर निगम चुनावों में भाजपा के पास मुद्दों की कमी भी साफतौर पर झलकी. भाजपा इन चुनावों के प्रचार के दौरान मुद्दों से हटकर आप को घेरती नजर आई. भाजपा ने इन चुनावों में आप नेता सत्येंद्र जैन के जेल में सुविधांए लेते वीडियो के जरिए आप को घेरने की कोशिश की. भाजपा ने प्रदूषण के मुद्दे पर भी AAP को घेरने की कोशिश की लेकिन केजरीवाल हर बार इस मुद्दे पर पलटवार करते रहे. अपने थीम सॉन्ग में भी भाजपा ने या तो आप पर हमला बोला या फिर कोरोना काल के पीएम मोदी के फैसलों की प्रशंसा की. लेकिन इन वीडियोज में भाजपा ने अपने 15 सालों का हिसाब नहीं दिया और आप ने इसी मुद्दे पर भाजपा को घेरा.

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कथित शराब घोटाला भी नहीं आया काम

इन चुनावों में भाजपा ने शराब नीति में कथित घोटाले को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की. इसकी आंच दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया तक पहुंची. भाजपा ने सिसोदिया पर भ्रष्टाचार के बहुत आरोप लगाए. लेकिन आम आदमी पार्टी ने भाजपा के इन आरोपों का लगातार खंडन किया. अंत में आकर जब इस मामले में CBI और ED ने चार्जशीट दाखिल कीं तो इनमें सिसोदिया का नाम नहीं था. आम आदमी पार्टी ने इसे भी एक मौके के रूप में इस्तेमाल किया और उल्टा भाजपा को यह कहते हुए घेरा कि इन्होंने हमारे ईमानदार नेता पर झूठे आरोप लगाए हैं.

दिल्ली में जब से आम आदमी पार्टी सत्ता में आई है, वह जनता को यही बताती रही है कि उन्हें केंद्र सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल काम नहीं करने दे रहे हैं. कई मौकों पर तो आप सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल सीधे आमने सामने भी आए. टकराव इतना बढ़ गया कि कोर्ट भी जाना पड़ा. ऐसे में अरविंद केजरीवाल दिल्ली की जनता के मन में ये नैरेटिव सेट करने में सफल हो गए कि उनकी सरकार तो काम करना चाहती है, लेकिन केंद्र के दखल के चलते कई काम अटक जाते हैं. 

7 दिसंबर को आएंगे नतीजे

दिल्ली MCD चुनावों के नतीजे 7 दिसंबर को घोषित होने हैं. ऐसे में अगर यह नतीजे सच साबित हो गए तो भाजपा राज्य में एक और कदम पीछे चली जाएगी. देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा दिल्ली में मोदी का फेम अब भी काम करता है या केजरीवाल का जादू काम करेगा.

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