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Power Crisis: कोयला संकट के बाद भी दिल्ली में बिजली कटौती नहीं, जानें क्या है वजह

दिल्ली को अलग-अलग बिजली संयंत्रों से बिजली की आपूर्ति होती है. बिजली कंपनियों से लंबी अवधि के लिए समझौते किये गए हैं. साथ ही बिजली संकट से निपटने के लिए राष्ट्रीय राजधानी को बेहतर तरीके से तैयार किया जाता है. दिल्ली के निवासियों को बिना रुकावट बिजली आपूर्ति देने की लिए वर्षों काम किया गया है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली में BRPL, BYPL, TPDDL करती हैं बिजली की आपूर्ति
  • 50 से ज्यादा उत्पादन इकाइयों से राष्ट्रीय राजधानी को मिलती है बिजली

पिछले कुछ दिनों से पूरे देश में बिजली संकट के बीच एक सवाल उठ रहा है कि दिल्ली को बिजली कटौती का सामना क्यों नहीं करना पड़ा? क्या दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी या बेहतर मैनेजमेंट के चलते कुछ विशेष तवज्जो दी जा रही? जवाब है हां.

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दिल्ली ने विभिन्न बिजली संयंत्रों से बिजली की आपूर्ति के लिए विशेष डील की है. साथ ही बिजली संकट से निपटने के लिए राष्ट्रीय राजधानी को बेहतर तरीके से तैयार किया गया है. निजी डिस्कॉम और सरकारी एजेंसियों के बेहतर प्रबंधन की वजह से यह सब संभव हो पाया है. जानते हैं कि दिल्ली को किन मुख्य वजहों ने बिजली संकट से बचाया.

लंबी अवधि के किए बिजली खरीद के समझौते

दिल्ली में बिजली आपूर्ति की जिम्मेदारी BRPL, BYPL और TPDDL की है. BRPL पश्चिमी और दक्षिणी दिल्ली, BYPLपूर्वी और मध्य दिल्ली और  TPDDL उत्तर और उत्तर पश्चिमी दिल्ली को बिजली की आपूर्ति करता है. नई दिल्ली में बिजली वितरण का काम नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) करता है. ये सभी एजेंसियां ​बिजली खरीदती हैं फिर अपने निर्धारित क्षेत्रों में इसकी आपूर्ति करती हैं. निजी बिजली कंपनियों के कई बिजली उत्पादन संयंत्रों से बिजली खरीद के लंबी अवधि के समझौते होते हैं. इससे बिजली खरीदने और बेचने वाले दोनों को फायदा पहुंचता है.

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चार संयंत्रों से मिलती है 10 हजार मेगावॉट बिजली

दिल्ली की डिस्कॉम ने मांग के अनुसार बिजली की व्यवस्था की है. दिल्ली की निजी वितरण कंपनी के सूत्रों के मुताबिक तीनों कंपनियों ने अलग-अलग आवंटन के तहत करीब 7500 मेगावॉट की व्यवस्था की है. दिल्ली को बिजली की आपूर्ति करने वाली प्रमुख कंपनी दिल्ली के बवाना स्थित गैस टर्बाइन पावर प्लांट है, जिसमें से लगभग 1100 मेगावॉट बिजली की व्यवस्था है. यूपी में दादरी-द्वितीय संयंत्र करीब 725 मेगावॉट बिजली दिल्ली को देता है वहीं हरियाणा में झज्जर संयंत्र लगभग 700 मेगावॉट बिजली की व्यवस्था करता है.

विद्युत उपकरणों-स्टेशनों का बेहतर प्रबंधन

- उपभोक्ताओं के लिए बिना रुकावट बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सबसे जरूरी फ‌ैक्टर में एक है बुनियादी ढांचे में निवेश करना है. जैसे गर्मी जल्दी आ जाने से इस बार कई राज्यों को उपकरणों के नियमित रखरखाव का मौका नहीं मिल पाया.
- ज्यादतर सरकारी स्वामित्व वाले वितरण विभाग नियमित रखरखाव और ओवरहाल की नहीं करते हैं. यहां तक ​​कि लोड भी नियमित रूप से नहीं बढ़ाया जाता है. ट्रांसफॉर्मर और केबल बढ़ती गर्मी को नहीं झेल पाते इसलिए कई क्षेत्रों में लगातार बिजली कटौती की समस्या बनी रहती है.
-  बिजली आपूर्ति के नेटवर्क को बेहतर रखने के लिए बुनियादी ढांचे में बदलाव के लिए पैसा लगाना होता है. पावर सबस्टेशन बिजली वितरण के बुनियादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. समय के साथ नए सबस्टेशन स्थापित करने और उन्हें नई प्रौद्योगिकियों में अपग्रेड करने की जरूरत है. इसके अलावा, आउटेज के मामले में शिकायतों का निवारण भी जरूरी है, ताकि बिजली कटौती की आशंका को सीमित किया जा सके.

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ट्रांसमिशन नेटवर्क को बनाया बेहतर

दिल्ली को अपनी बिजली 50 से ज्यादा उत्पादन इकाइयों से मिलती है. इसके लिए एक विशाल ट्रासमिशन लाइन की भी जरूरत है, ताकि राजधानी तक बिजली आसानी से पहुंच सके. सरकार ने ट्रांसमिशन नेटवर्क में भी बड़े पैमाने पर निवेश किया है इसलिए बिजली संकट का दिल्ली पर असर नहीं दिखा.

क्या सरकारें महंगी बिजली की खरीद से परहेज कर रहीं?

अगर किसी राज्य या कॉर्पोरेशन ने मांग के अनुसार लंबे समय के लिए बिजली खरीद का समझौता नहीं किया है, तो भी विनिमय बाजार से भी बिजली खरीदने की संभावना हमेशा बनी रहती है. ज्यादा कीमत चुकाकर बिजली को खरीदा जा सकता है. बिजली संकट के समय दरें सामान्य रूप से बढ़ जाती हैं. सरकारें ऐसे समय में खरीद से बचती हैं क्योंकि इससे राजकोष पर भारी खर्च होता है इसीलिए केंद्र सरकार ने विनिमय दरों पर एक सीमा तय की है. 

थर्मल पावर प्लांट पर कम की निर्भरता 

कुछ साल पहले तक दिल्ली कोयले पर चलने वाले थर्मल पावर प्लांट पर निर्भर था, लेकिन अब इस निर्भरता को काफी कम कर दिया गया है. डिस्कॉम के सूत्रों का दावा है कि अभी भी 50% से अधिक बिजली की मांग को कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से पूरा किया गया है, लेकिन परिदृश्य काफी तेजी से बदल रहा है. अब दिल्ली सौर, हाइड्रोलिक और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरण स्रोतों से ज्यादा बिजली खरीद रही है.

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