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राहुल गांधी को मिली राहत का 'INDIA' पर क्या होगा असर? इन वजहों से मच सकती है हलचल

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने 'मोदी' सरनेम मामले में उनकी सजा पर रोक लगा दी है. यानी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राहुल की फिलहाल सांसदी तो बहाल नहीं हुई, लेकिन, सजा पर रोक लगने से वह संसद के सत्र में हिस्सा ले सकते हैं. इतना ही नहीं, 2024 का चुनाव लड़ने की उम्मीदें भी धूमिल नहीं हुई हैं.

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार विपक्षी गठबंधन की बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं. (फाइल फोटो- PTI)
कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार विपक्षी गठबंधन की बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं. (फाइल फोटो- PTI)

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है. राहुल के पॉलिटिकल करियर से बड़ा संकट टल गया है. सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि मामले में राहुल की दो साल की सजा पर रोक लगा दी है. ऐसे में उनके 2024 का चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि, अभी इस मामले पर सुनवाई जारी रहेगी. राहुल 2019 में केरल की वायनाड सीट से लोकसभा चुनाव जीते थे. 

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दरअसल, राहुल गांधी को सूरत की सेशन कोर्ट ने 23 मार्च को मोदी सरनेम मामले में मानहानि का दोषी पाया था और दो साल की सजा सुनाई थी. कोर्ट के इस फैसले के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल की संसद सदस्यता रद्द कर दी थी. सजा और अयोग्यता की वजह से राहुल पर 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाने का संकट आ गया था. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने उन्हें फिलहाल बड़ी राहत दे दी है. राहुल ने सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ गुजरात हाई कोर्ट में अपील की थी. हालांकि, उन्हें HC से राहत नहीं मिली थी और 7 जुलाई को याचिका खारिज कर दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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कांग्रेस के बदल सकते हैं सुर?

माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A में भी हलचल मचा दी है. चूंकि, अब तक विपक्ष में प्रधानमंत्री पद का चेहरा तय नहीं हो सका है. कॉमन मिनिमम प्रोग्राम भी तय नहीं हुआ है. मुंबई में विपक्ष की तीसरी बड़ी बैठक होनी है. इसमें गठबंधन के संयोजक की नियुक्ति के लिए 11 सदस्यीय कमेटी का ऐलान किया जाना है. इसी बैठक में अलग-अलग मुद्दों के समाधान के लिए विशिष्ट कमेटी गठित होगी. राहुल गांधी मामले में गुजरात हाई कोर्ट से राहत ना मिलने से कांग्रेस भी पीएम फेस को लेकर ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही थी. गठबंधन को लेकर फॉर्मूले और समझौते के लिए भी पीछे हटते नहीं दिख रही थी. लेकिन, अब सुर और ताल दोनों में बदलाव देखे जाने की संभावना बढ़ गई है.

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राहुल को पसंदीदा नेता बता चुकीं ममता 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A को लेकर नए सिरे से रणनीति बना सकती है. बेंगलुरु की बैठक में ममता बनर्जी ने पीएम फेस के लिए राहुल गांधी का नाम आगे बढ़ाया था. ममता ने कहा था कि राहुल हमारे पसंदीदा नेता हैं. हालांकि, तब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह कहते हुए टाल दिया था कि कांग्रेस को सत्ता का लोभ नहीं है.

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राहुल पर फैसले के बाद एक्टिव हुई कांग्रेस

अब चूंकि, सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है तो कांग्रेस भी एक्टिव हो गई है. यही वजह है कि SC के फैसले के कुछ देर बाद ही लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी शुक्रवार को स्पीकर के पास पहुंच गए और राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल करने की मांग की. स्पीकर ने आश्वासन दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निर्णय लिया जाएगा.

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विपक्ष में राहुल के नाम पर स्वीकार्यता नहीं?

वहीं, विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों की बात करें तो राहुल गांधी को लेकर कुछ सदस्यों में स्वीकार्यता नहीं देखी जाती रही है. जून में पटना की बैठक हो या जुलाई में बेंगलुरु की मीटिंग.. निजी तौर पर कई विपक्षी नेता राहुल को एकजुट विपक्ष के चेहरे के रूप में पेश करने से सावधानी बरतते दिखे हैं. खुद ममता बनर्जी की पार्टी के नेताओं के बयान देकर माहौल में सरगर्मियां बढ़ाई हैं.

राहुल के बयानों पर भी गठबंधन सदस्यों को ऐतराज

इतना ही नहीं, राहुल के बयानों से भी I.N.D.I.A में शामिल दलों ने खुलकर आपत्ति जताई है. महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और एनसीपी वीर सावरकर को लेकर कांग्रेस और राहुल गांधी के स्टैंड पर ऐतराज जता चुकी है. हाल ही में उद्धव ठाकरे ने तो यहां तक कह दिया था कि अगर राहुल गांधी इसी तरह सावरकर का अपमान करते रहे तो विपक्ष की एकता में दरार' आ जाएगी.

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राहुल को पीएम के मुकाबले खड़ा कर रही कांग्रेस

जबकि कांग्रेस लगातार राहुल गांधी की छवि चमकाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. कांग्रेस का कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल की छवि में काफी सुधार हुआ है. सोशल मीडिया पर राहुल को जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है. उनकी लोकप्रियता दिनों दिन बढ़ती जा रही है. कांग्रेस के कुछ नेताओं का तो यह भी दावा है कि पिछले कुछ महीनों में राहुल की सोशल मीडिया पोस्ट पर पीएम मोदी के मुकाबले ज्यादा रिएक्शन आ रहा है.

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नीतीश ने भी छोड़ा मैदान? 

विपक्षी एकजुटता के अगुवाकार नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी छोड़ चुके हैं. नीतीश का कहना है कि वो बीजेपी को हटाने के लिए सभी दलों को साथ लाए हैं. उन्होंने यह भी जोड़ा है कि चेहरा सामने लाने से विपक्षी एकजुटता की मुहिम को नुकसान होगा. बाकी अन्य नेता भी चेहरा तय करने के लिए तैयार नहीं हैं. वहीं, कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी का चेहरा आगे किया जा रहा है. इसके पीछे क्या वजह है, क्या रणनीति है? यह तो आने वाले वक्त में साफ हो सकेगा. लेकिन, इतना तय है कि कांग्रेस राहुल के नाम पर किसी हाल में बैक होने के मूड़ में नहीं है.

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